राजस्थान के लालगढ़ जट्टन मिलिट्री स्टेशन में कर्नल को अधीनस्थ अधिकारी की बीवी के साथ अफेयर का दोषी पाया गया। जनरल कोर्ट मार्शल ने कर्नल को चेतावनी देने के साथ उनकी वरिष्ठता घटाने की सजा भी दी है।
जनरल कोर्ट मार्शल की अध्यक्षता 83 इन्फ्रेंट्री ब्रिगेड के ब्रिगेडियर एएफ शाह ने की। ‘कॉर्प्स ऑफ इंजीनियर’ के कर्नल पर आर्मी एक्ट की धारा 45 के तहत दो आरोप और धारा 63 के तहत एक आरोप था, जिसके आधार पर उनके खिलाफ अभियोग चलाया गया। धारा 45 का संबंध में अयोग्य अचारण से है, जबकि धारा 63 में सैन्य अनुशासन से जुड़े मामले आते हैं।
आधी रात को मिलिट्री पुलिस ने कर्नल को पकड़ा था रंगे हाथ
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, यह मामला साल 2017 का है। उस वक्त कर्नल पंजाब के भटिंडा में तैनात थे। कर्नल को उनके जूनियर अधिकारी के घर पर आधी रात को कॉर्प्स ऑफ मिलिट्री पुलिस ने रंगे हाथ को पकड़ा था। दरअसल, कर्नल के अधीनस्थ अधिकारी गोल्फ टूर्नामेंट में हिस्सा लेने के लिए चांदीमंदिर गए थे। इसी समय कर्नल उनकी पत्नी के साथ, उन्ही के घर में थे। इस बात की जानकारी कर्नल के अधीनस्थ अधिकारी को मिली तो उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों को इस बारे में सूचित किया।
सुप्रीम कोर्ट भले ही विवाहेत्तर संबंध को नहीं मानता अपराध, पर सेना में कानून सख्त
सुप्रीम कोर्ट ने विवाहेत्तर संबंधों को अपराध की श्रेणी से भले ही बाहर कर दिया हो, लेकिन सेना में यह गंभीर अपराध माना जाता है। सेना में इसकी परिभाषा ‘भाई के समान अधिकारी की पत्नी के साथ संबंध’ के तौर पर की जाती है, जो अपराध है। सेना के सूत्रों का कहना है कि इस प्रकार के मामलों में सेना में कड़ी सजा का प्रावधान है। हालांकि, कर्नल को जो सजा दी गई है, वह अन्य मामलों की तुलना में काफी कम लग रही है। ऐसे कई मामलों में तो सैन्य अधिकारियों को हटाया भी गया है।
कई अधिकारियों को किया जा चुका है सेवामुक्त
जानकारी के मुताबिक, साल 2017 में गोरखा राइफल्स के ब्रिगेडियर को एक अन्य अधिकारी की पत्नी के साथ संबंधों का दोषी पाया गया था। उन्हें इस अपराध के लिए पांच साल सश्रम कारावास की सजा दी गई थी। इतना ही नहीं, उन्हें सेना से निकाल भी दिया गया था। इसी प्रकार से एक सैन्य अधिकारी की बेटी के साथ अफेयर के जुर्म में सैन्य अधिकारी को हटा दिया गया था। इसी प्रकार से कई और मामलों में भी कठोर दंड दिया गया।