पिछले कुछ दिनों से राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मानव संसाधन राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा को लेकर बीजेपी में भी असमंजस की स्थिति है. वो NDA में रहेंगे या नहीं इस पर बीजेपी को भी संदेह हैं. बीजेपी के तरफ आये एक नए बयान में यह साफ हो रहा है. बता दें कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता और सांसद सीपी ठाकुर ने यह बयान दिया है. उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि उपेन्द्र कुशवाहा हमारे साथ रहें लेकिन वो कब तक हमारे साथ रहेंगे यह कहा नहीं जा सकता.
मालूम हो कि कुशवाहा ने एक चैनल से बातचीत में अपनी नाराजगी जाहिर की थी. उन्होंने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी का NDA से जाना, गैंगरेप व हत्या और यूपी में आरोपी बीजेपी विधायक पर कर्रावाई में देरी होना और बिहार में पिछले महीने हुई सांप्रदायिक हिंसा की घटनाओं में बीजेपी नेताओं के नाम सामने आने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया.
बता दें कि एक चैनल से बातचीत के दौरान आरएलएसपी प्रमुख और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने गैंगरेप व हत्या और यूपी में बीजेपी विधायक पर रेप के आरोप लगने के बाद भी कार्रवाई में देरी होने पर यह कहा,” देखिये ऐसा तो नहीं कहा जा सकता कि बीजेपी की तरफ से कोई तय नहीं पाया. घटनाएं तो हुई हैं, इससे तो इनकार नहीं कर सकता. ऐसे घटनाए हुई हैं, जो नहीं होनी चाहिए थीं. इन मामलों में निश्चित रूप से देरी हुई है, कोई भी व्यक्ति यह कहेगा. क्योंकि घटना होती है, और इसमें ऐसे व्यक्ति का नाम आता है, जो खास है, आम नहीं है. तो ऐसे में जनता के बीच जल्दी से जल्दी सच्चाई का प्रबंध सरकार और संबंधित अथॉरिटी को करना चाहिए, लेकिन काफी विलंब से हुआ और कोर्ट ने कहा तब जाकर जांच की भी बात हुई तो इसका मैसेज गलत गया है. मेरी सलाह यही है कि आगे ऐसे में तत्परता से कार्रवाई करें.”
बिहार के कई जिलों में हुई सांप्रदायिक हिंसा और बीजेपी के बड़े नेता अश्विनी चौबे के बेटे अर्जित सारस्वत की गिरफ्तारी और नरेंद्र मोदी चौके वाले मामले में तथ्यों को पता लगाने में हुई देरी को लेकर उन्होंने कहा, “बिहार में जो घटनाएं हुईं, उनमें जिन बीजेपी नेताओं के नाम आएं, उनमें पार्टी को खुद कार्रवाई करनी चाहिए थी. लेकिन बीजेपी और उसके नेता यही कहते रहे कि सारे आरोप गलत थे. फिर पुलिस को एक्ट करना पड़ता है. तो कुल मिलाकर मुझे लगता है कि बीजेपी को ज्यादा जिम्मेदारी से पेश आना चाहिए था. पब्लिक किसी चीज़ को किस रूप में लेती है, राजनीति कहीं न कहीं उस चीज़ पर टिकती है. लोगों के बीच यही परसेप्शन बना कि सरकार की तरफ से इन मामलों में देरी हुई. इसे लेकर भी बीजेपी भी बराबर की जिम्मेदार है. एक बार ऐसा संदेश जाता है, तो लोगों का परसेप्शन भी बनने लगता है. कोई इसे रोक नहीं सकता.”
बीजेपी घटक दलों द्वारा एनडीए पर दबाव बनाने के सवाल पर उन्होंने कहा, “हम दबाव बनाने की नहीं सोच रहे हैं. सामाजिक न्याय को लेकर प्रतिबद्ध हर पार्टी को आगे आना चाहिए. अगर सरकार हमारी है, तो हमें अपनी चिंताएं उठानी चाहिए और रामविलास पासवान, नीतीश कुमार और मैंने यही किया है.”
एनडीए में समन्वय समिति के ना होने के सवाल पर उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय स्तर पर हमारे प्रधानमंत्री कई कदम उठाते रहे हैं. हालांकि बिहार के मामले में ऐसा नहीं हुआ. संवादहीनता की वजह से थोड़ी भ्रम की स्थिति पैदा हुई है. ऐसा कोई व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि हम एकसाथ बैठकर बातचीत तो होनी चाहिए थी. हम अब चुनावी साल में प्रवेश कर चुके हैं, लेकिन अब तक ऐसा कुछ नहीं किया गया. कई बार हम फैसले लेने में विपल हुए, जो पहले ही ले लिए जाने चाहिए थे.”
कुशवाहा ने यह भी कहा कि जीतनराम मांझी के गठबंधन छोड़ने से एनडीए पर काफी असर पड़ा है. उन्होंने कहा, “निश्चित रूप से असर तो पड़ा है. मैं इससे इनकार नहीं कर सकता, लेकिन हम इसका असर खत्म करने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं. मुझे लगता है कि 2019 के चुनावों तक हालात अलग होंगे.”
राजद नेता लालू यादव मुलाकात के बाद जारी हुए NDA छोड़ने की अटकलों को लेकर कुशवाहा ने यह कहा, “हां, मैं लालू जी से मिला था. वह राज्य के वरिष्ठ नेता रहे हैं, उम्र में ही हम लोगों से बड़े हैं. उन्होंने बिहार के लिए काफी कुछ किया, हालांकि कुछ चीज़ों के लिए उनकी आलोचना होती है, हम भी आलोचना करते रहे हैं. लेकिन वह एक महत्वपूर्ण चेहरा हैं. वह बीमार थे और इसी कारण मैं उन्हें देखने गया. अगर लोग इसे लेकर अटकलें लगा रहे हैं, तो उन्हें लगाने दें.”