बिहार में बीजेपी नेताओं के बयानबाजी और हिंसों में भाजपा नेताओं के नाम आने से मुख्यमंत्री नीतीश सरकार की जमकर किरकरी हुई. जबकि विपक्ष ने तो नीतीश कुमार पर बीजेपी के आरोपी नेताओं को बचाने का आरोप भी लगाया. उसके बाद सुप्रीमकोर्ट कोर्ट के SC-ST एक्ट में किये गये बदलाव के बाद बिहार सहित पुरे देश में बड़ा आन्दोलन हुआ. इस फैसले के खिलाफ भारत बंद किया गया, जिसमे बिहार और बिहारियों को काफी नुकसान सहना पड़ा.
उसके बाद बीजेपी और जदयू को अपनी सत्ता हिलती नजर आने लगी. कहा जाने लगा कि नीतीश कुमार ने बिहार के कुछ बीजेपी नेताओं दुरी बना ली है. जबकि इसी बीच उन्होंने रामविलास पासवान, पप्पू यादव और उपेन्द्र कुशवाहा जैसे बड़े दलित और पिछड़े वर्गों के नेताओं से नजदीकियां बढ़ाकर एक सियासी संकेत दे दिया. उसके बाद आज नीतीश कुमार ने बाबा साहेब भीमराव अंबेदकर जयंती पर आयोजित एक कार्यक्रम में एक बड़ा बयान दिया है. जो बीजेपी के लिए बड़े संकट का इशारा कर रहा है. उनके इस बयान को बीजेपी से जोड़कर देखा जा रहा है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कार्यक्रम में यह कहा कि धरती पर किसी की इतनी ताकत नहीं कि आरक्षण खत्म कर दे. ये बिल्कुल ही असंभव बात है. उन्होंने कहा कि हम सत्ता की चिंता नहीं करते लोगों की चिंता करते हैं. सत्ता रहे या जाए बुनियादी उसूलों से कभी समझौता ना किया ना ही करूंगा.
बता दें कि नीतीश पटना के हज भवन में जदयू की तरफ से बाबा साहेब भीमराव अंबेदकर जयंती पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग काम नहीं करते सिर्फ बयानबाजी और ट्विटरबाजी करते हैं, हम अवंडर-बवंडर से नहीं डरते. ये सब आता रहा है और आता रहेगा. आएगा और जाएगा, हम काम करते रहे हैं, जनता के लिेए बिहार के विकास के लिए काम करते रहेंगे.
उन्होंने आगे यह भी कहा कि हम किसी से बिना वजह तकरार की या बेवजह बयानबाजी की जरूरत नहीं समझते. इस दुनिया में किसी की बोली नहीं टिकती, सब खत्म हो जाता है. ऊपर जाने के बाद काम ही रह जाता है. अपने काम के लिए हमें किसी के प्रमाणपत्र लेने की जरूरत नहीं है. कुछ लोगों को समाज को तोड़ने में यकीन है, लेकिन हम समाज को जोड़ने में यकीन करते हैं.