आज पुरे में देश में SC/ST एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ भारत बंद को सफल बनाने की पुरजोर कोशिश की जा रही है. जबकि बिहार में भी भारत बंद का व्यापक असर देखने को मिल रहा है, बिहार के कई जिलों में दलित समर्थक एकजुट होकर प्रदर्शन कर रहे हैं. कहीं तो समर्थक इतने उग्र हो गये हैं कि वें मारपीट और आगजनी पर उतारू हैं, बिहार में कई ट्रेनों को भी रोक दिया गया है. समर्थक केंद्र सरकार और बिहार के नीतीश सरकार के खिलाफ भी नारेबाजी कर रहे हैं.
इसी बीच के एक बड़ी खबर सामने आई है, जिसकी जानकारी नीतीश सरकार के मंत्री मंत्री महेश्वर हजारी माध्यम से मिली है. मंत्री महेश्वर हजारी के मुताबिक अब नीतीश सरकार “महादलित” को खत्म करने की तैयारी कर रही है. अब बिहार में केवल अनुसूचित जाति ही रह जाएगा. मंत्री महेश्वर हजारी की माने तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती पर यह बड़ा ऐलान कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि महादलित से पासवान समाज उपेक्षित महसूस कर रहा था. हम पहले से सरकार से इसे ख्तम करने की मांग कर रहे थे. मुख्यमंत्री ने हमारी मांग पर विचार किया. उन्होंने कहा कि संविधान में महादलित नाम का कोई शब्द है ही नहीं. आपको बता दें कि दलितों को दलित और महादलित केटेगरी में बाँटने का फैसला नीतीश सरकार ने ही लिया था, जिसका एक समय में विपक्ष ने जबरदस्त विरोध भी किया था.
बता दें कि बिहार के मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने पासवान जाति को महादलित वर्ग में शामिल करने संबंधी प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी. इस मंजूरी के बाद अब बिहार में दलित वर्ग में कोई भी जाति नहीं रही. उस दौरान बिहार महादलित आयोग के अधिकारी रहे उदय कुमार ने बताया था कि, “अब राज्य में सभी दलित महादलित हैं. चूंकि पासवानों को महादलित वर्ग में शामिल कर लिया गया, इसलिए वे महादलितों के लिए उपलब्ध कल्याण योजनाओं का लाभ ले सकेंगे.”
वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक, बिहार की 10 करोड़ 40 लाख आबादी में महादलितों की संख्या करीब 16 फीसदी है. जनगणना में 22 दलित उप-जातियों को महादलित के रूप में पहचाना गया. महादलित वर्ग में मुसहर, भुइयां, डोम, चमार, धोबी और नट को शामिल किया गया है. मुसहर समुदाय से आने वाले मांझी स्वयं महादलित वर्ग से आते हैं. पासवान को महादलित वर्ग से बाहर रखा गया था .
मांझी से पहले बिहार मुख्यमंत्री रहे नीतीश कुमार के कार्यकाल में पासवान जाति को महादलित वर्ग से बाहर रखा गया था. नीतीश कुमार ने ही महादलित आयोग का गठन किया था और उनके लिए विशेष कल्याण कार्यक्रम की घोषणा की थी.