हर कोई इमरजेंसी की ओर दौड़ पड़े. एक के बाद एक मरीज के म’रने की खबर सुनते ही अस्पताल में अफरातफरी का माहौल हो गया. अस्पताल का हर एक कर्मी इमरजेंसी व अन्य वार्ड की ओर दौर पड़ा. हर एक कर्मी ने अपने-अपने स्थान पर मोर्चा संभाल लिया और मरीजों को बचाने में जुट गये.
देर रात तक मरीजों के आने का सिलसिला बना हुआ था. ट्राली ब्वायज एक को भर्ती करते थे तब तक वह दूसरे को बाहर निकालने में भिड़ जाते थे. मरीजों को जी जान से बचाने में जुटे उपाधीक्षक डॉ पीके अग्रवाल, प्रिसिंपल डॉ एचजी अग्रवाल व फिजीशियन डॉक्टर नीरज कुमार का कहना था कि हीट वेब स्ट्रॉक की मार से लोग हाइ टेंपरचेर के शिकार हैं. उनका टेंपरचर 104 डिग्री से अधिक नोट किया गया है जो लगातार बढ़ता ही जा रहा है.
उनके टेंपरेचर को डाउन करना अस्पताल की पहली और अनिवार्य प्राथमिकता है. मरीजों को हर संभव दवाइयां दी जा रही हैं. इमरजेंसी वार्ड में भर्ती हर मरीज उच्च ताप से खास परेशान थे. वह फीवर की मार से बेचैनी में कराह रहे थे. उनकी कराह सुन हर कोई सकते में पड़ा हुआ था. मरीजों को बोतल के ढक्कन से डंडे पानी दिये जा रहे थे.
वह भी डॉक्टरों के दिशा निर्देश पर. डॉक्टरों की सलाह थी कि धीरे-धीरे पानी पिलाएं. इंजेक्शन ताबतोड़ मरीजों को लगाये जा रहे थे स्लाइन भी धड़ाधड़ चढ़ाया जा रहा था पर मरीजों का हाइ टेंपरेचर डाउन होने का नाम ही नहीं ले रहा था. इसी बीच नये मरीजों को भर्ती करने और फिर उनकी डेड बॉडी ले जाने का सिलसिला भी जारी था.
शनिवार की दोपहर के बाद दो बजे से लेकर रात आठ बजे तक गर्मी व लू से लगभग 33 मरीजों की मौत हो गयी. इस तरह की घटना औरंगाबाद में पहली बार हुई है. हर आधा घंटा में दो मरीज काल के गाल में समा रहे थे.
एक -एक कर मरीज आजे गये और उनकी सांसें टूटती गयीं. सदर अस्पताल में अगर एसी की सुविधा होती तो शायद मौत के आंकड़े कम होते. वैसे कुछ डॉक्टरों ने भी इस बात को माना. डॉ अमित कुमार ने कहा कि अगर लू का असर है तो मरीजों को तत्काल एसी की आवश्यकता होती है. 50 प्रतिशत तक लू के असर को कम किया जा सकता था. देव के प्रखंड उपप्रमुख मनीष राज पाठक ने सिविल सर्जन,एसडीओ,एसडीपीओ की उपस्थिति में एसी से संबंधित मुद्दे को उठाया.
उन्होंने कहा कि अगर एसी से मरीजों के इलाज में सहूलियत होती है तो आइसीयू और नशामुक्ति केंद्र का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन दुर्भाग्य है कि उद्घाटन के दो साल बाद भी आइसीयू की सेवा एक भी मरीजों को नहीं मिली. नशामुक्ति केंद्र सिर्फ डॉक्टरों व कर्मियों के आरामगाह के रूप में काम कर रहा है. इधर, पता चला कि कई लोगों की मौत अस्पताल में तो कई की मौत रास्ते में हो गयी.
मौत के पीछे कहीं अन्य कारण तो नहीं?
औरंगाबाद में शनिवार को लगभग 33 लोगों की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग की व्यवस्था पर सवाल उठना शुरू हो गया है. वैसे 33 मौत के पीछे कारण क्या है यह स्पष्ट नहीं है. ये अलग बात है कि डॉक्टर लू के बाद हाइ फीवर को कारण बता रहे हैं. वैसे मौत के पीछे कुछ अन्य कारण भी चर्चा में है. अस्पताल में उपस्थित लोगों ने भी जिक्र किया कि घटना की गंभीरता से जांच हो. वैसे चमकी बुखार भी मौत का कारण बताया जा रहा है.
एक ही िदन में औरंगाबाद, गया व नवादा में हुईं मौतों की करायी जा रही जांच, िरपोर्ट आने के बाद स्पष्ट होगी स्थिति
सूची तैयार होने पर स्पष्ट होगी स्थिति : डीडीसी
औरंगाबाद के प्रभारी डीएम सह डीडीसी घनश्याम मीणा ने कहा कि फिलहाल स्थिति स्पष्ट नहीं है, जिससे कुछ स्पष्ट कहा जा सके. मृतकों की सूची तैयार हो रही है.
उसके बाद ही बताया जा सकता है कि कितने लोगों की मौत हुई है. वैसे घटना काफी दुखद है. सिविल सर्जन द्वारा जानकारी दी जा रही है कि 27 मरीजों की मौत हुई है. एक ही दिन इतने लोगों की मौत कैसे हुई, इसकी जांच करायी जा रही है. एक शव का पोस्टमार्टम कराया जायेगा. ब्लड आदि के सैंपल लिए जायेंगे. जांच रिपोर्ट आने के बाद पता चल सकेगा कि लोगों की मौत कैसे हुई.
औरंगाबाद के मृतकों की सूची
- – छह वर्षीय मो सुहैल
- – जम्होर के देउरिया की मालती देवी
- – बेल ओबरा के कमऊ हसन
- – गोड़ियारपुर कुटुंबा की रीना देवी
- – सरंगा बारुण के बाल कुमार सिंह
- – पहड़पुरा के उपेंद्र प्रसाद सिंह
- – महुअरी माली के वीरेंद्र कुमार
- – केताकी देव के लालबाबू
- – टेंगरा के भागवत ठाकुर
- – पचौखर देव के नरेंद्र कुमार अम्बष्ट, चेतन
- – फेसर की देवंती देवी
- – चनौती माली की वकीला देवी
- – रतनुआ की शारदा देवी
- – गंज मुहल्ले की जैबुन निशा
- – श्यामता सिंह, रेणु देवी
- – जहानाबाद जिले के नगवा गांव की विंदेश्वरी भारती
- – टिकरी मुहल्ले की ललिता चौधरी