एनटीपीसी की कहलगांव की 2,340 मेगावॉट की इकाई को स्थानीय लोगों के आंदोलन के कारण कोयले की आपूर्ति बाधित होने की समस्या से जूझना पड़ रहा है। संयंत्र के अधिकारियों ने भंडार में तेजी से कोयला खत्म होने को लेकर चिंता जताते हुए कहा है कि आपूर्ति शीघ्र शुरू नहीं हुई, तो बिहार राज्य में बिजली का गंभीर संकट पैदा हो सकता है।
 
एनटीपीसी कहलगांव के जनसंपर्क अधिकारी सौरभ कुमार ने कहा कि संयंत्र बनाने में जिन स्थानीय ग्रामीण लोगों की जमीनें अधिग्रहीत की गयी थीं, उन्हें अनुबंध पर नौकरी के साथ ही उचित मुआवजा दिया गया था। हालांकि ग्रामीण अपनी मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और करीब 24 घंटे से कहलगांव-लालमटिया रेलवे ट्रैक पर धरने पर बैठे हुए हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारी स्थायी नौकरी की मांग को लेकर धरने पर बैठे हैं। इसके कारण संयंत्र को कोयला नहीं मिल पा रहा है। संयंत्र को हर रोज 12 से 14 वैगन कोयले की आपूर्ति होती है। कुमार ने कहा कि स्थानीय लोगों द्वारा विरोध प्रदर्शन की घोषणा के बाद एनटीपीसी के अधिकारी उनके साथ कई दौर की वार्ता कर चुके हैं और उन्हें आश्वस्त कर चुके हैं कि उनकी मांगों पर विचार किया जाएगा। हालांकि स्थानीय लोगों ने इसके बाद भी आंदोलन शुरू कर दिया।
 
एनटीपीसी के प्रबंधक (कॉरपोरेट कम्युनिकेशंस, पूर्व-1) विश्वनाथ चंदन ने पटना में कहा कि परिस्थिति गंभीर है। हमारा कोयला भंडार तेजी से समाप्त हो रहा है। संयंत्र के पास जितना कोयला बचा है वह तीन दिन से अधिक नहीं चलेगा। यदि इसके भीतर समस्या को नहीं सुलझाया गया तो राज्य के कई हिस्से को बिजली की आपूर्ति बंद हो सकती है।

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