कश्मीर में हालात पहले से सामान्य है। इसको लेकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल अधिकारियों के साथ मिलकर एक रणनीति तैयार की है। कश्मीर के लिए 4एम एक्शन प्लान किया है। इस प्लान पर आगे बढ़ते हुए स्थानीय प्रशासन न केवल असामाजिक तत्वों पर काफी हद तक शिकंजा कसने में सफल रहा है, बल्कि सीमापार बैठे उनके आका भी किसी भी रणनीति में सफल नहीं हो पा रहे हैं।

इस 4एम एक्शन प्लान से शांति भंग करने की हर साजिश को विफल बनाने का प्रयास जारी है। इन 4एम पर शिकंजा कसने की रणनीति बन चुकी है और प्रशासनिक अमला इस अभियान में तेजी से जुटा है। इसमें पहला एम है मिलिटेंट अर्थात हथियारबंद आतंकवादी। दूसरे एम हैं मूवर्स एंड शेकर्स अर्थात ओवरग्राउंड वर्कर्स। यह हथियारबंद आतंकियों से अधिक खतरनाक हैं। तीसरे एम मजहबी कट्टरवादी। ऐसे लोग जो धर्म की आड़ में आतंकी गतिविधियों को उकसाते हैं। अंतिम एम है माबस्टर्स अर्थात पत्थरबाज। इन गतिविधियों की निगरानी करते राज्य पुलिस व केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां समन्वित तरीके से अभियान चला रही हैं। इस कार्ययोजना को कश्मीर में करीब 11 दिन तक डेरा डाल खुद राज्य की आंतरिक और बाहरी सुरक्षा परिस्थितियों की समीक्षा करने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने संबधित सुरक्षा एजेंसियों के फीडबैक के आधार पर तैयार किया है।

पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी और पाकिस्तान में बैठे आतंकी सरगना जम्मू कश्मीर समेत देश के कई हिस्सों में बड़े आतंकी हमले की साजिश रच रहे हैं। इसके लिए राज्य में सक्रिय आतंकियों के अलावा गुलाम कश्मीर में बैठे आतंकियों की मदद लेने की साजिश रची गई है। करीब 250 आतंकी अंतरराष्ट्रीय सीमा और एलओसी के पार स्थित पाकिस्तानी सेना की निगरानी में चलने वाले लांचिंग पैड पर घुसपैठ के लिए तैयार बैठे हैं। इनसे निपटने के लिए घुसपैठ रोधी तंत्र को पूरी तरह मजबूत कर उन्हें सरहद पर ही मार गिराने की रणनीति को अपनाया जा रहा है। पंजाब में विशेषकर गुरदासपुर में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर भी चौकसी बढ़ाई गई है ताकि पठानकोट जैसा हमला न हो। नेपाल और बंगलादेश के रास्ते आने वाले लोगों की भी स्क्रीि‍निंग होगी। इसके साथ ही राज्य के भीतरी हिस्सों में आतंकरोधी अभियानों में भी तेजी लाई जाएगी। नए लड़कों की भर्ती रोकने के लिए नागरिक प्रशासन, सिविल सोसाइटी को भी पूरी तरह से सक्रिय बनाया जाएगा।

आतंकियों व उनके आकाओं के लिए आंख, नाक, कान का काम करने वाले इन तत्वों को आम बोलचाल में ओवरग्राउंड वर्कर कहते हैं। यह छात्र, सरकारी कर्मचारी, दुकानदार, किसान, मजदूर, बुद्धिजीवी, राजनीतिक कार्यकर्ता हो सकते हैं। इनके खिलाफ राज्य पुलिस अपने खुफिया विंग के अलावा केंद्रीय खुफिया एजेंसियों के साथ मिलकर अभियान चला रही है। यह लोग न सिर्फ आम लोगों में घुलमिलकर राष्ट्रविरोधी प्रदर्शनों और हिंसा को भड़काते हैं बल्कि आतंकियों के लिए सुरक्षित ठिकानों, पैसे की व्यवस्था के अलावा टारगेट की निशानदेही भी करते हैं। इसके अलावा आतंकी संगठनों के लिए नए लड़कों को चिह्नित करने का भी जिम्मा संभालते हैं। पूरी वादी में करीब छह हजार ओवरग्राउंड वर्कर सक्रिय हैं। इनमें से कई गिरफ्तार भी किए जा चुके हैं।

कश्मीर में आतंकवाद और अलगाववाद की आग को भड़काने में कई मजहबी नेताओं, उलेमा व मौलवियों की भूमिका का संज्ञान लिया है। जम्मू संभाग में भी ऐसे कट्टरपंथियों की निगरानी की जा रही है। अगर यह लोग धाॢमक मंच का इस्तेमाल करते हुए जिहादी और भावनाओं को उकसाकर हिंसा भड़काने का प्रयास करते हैं, तुरंत गिरफ्तार कर लिए जाएंगे। जिनका पुराना रिकार्ड नहीं होगा, उन्हें चेतावनी देकर छोड़ दिया जाएगा लेकिन पहले भी राष्ट्रविरोधी व अलगाववादी गतिविधियों में पकड़े जा चुके लोगों के खिलाफ पीएसए व अन्य कानूूनों का इस्तेमाल होगा। इसके अलावा प्रशासन विभिन्न मजहबी संगठनों और मौलवियों के साथ लगातार संपर्क में रहते हुए जिहादी तत्वों से निपटने व कानून व्यवस्था बनाए रखने में उनकी मदद भी लेगा।

सुनियोजित तरीके से पत्थरबाजी और राष्ट्रविरोधी प्रदर्शनों का संचालन करने वाले और पथराव में हिस्सा लेने वालों पर लगाम लगाने की रणनीति है। सभी पुराने और पेशेवर पत्थरबाजों की सूची तैयार कर उनकी गिरफ्तारियों को अमल में लाया जा रहा है। पथराव में लिप्त पहली बार पकड़े गए 16 वर्ष तक के किशोर को उसके 20 परिजनों व निकट संबंधियों द्वारा बने जाने वाले जमानती बांड के आधार पर तत्काल रिहा कर दिया जाएगा। इसके साथ ही उसे हिंसा व राष्ट्रविरोधी गतिविधियों से दूर रखने में उसके परिजनों की जिम्मेदारी को सुनिश्चित बनाया जाएगा। अगर वह दोबारा पकड़ा जाता है या पुराना पत्थरबाज है तो उसके खिलाफ कानून के तहत कठोर कार्रवाई की पहले से जारी प्रक्रिया को ही अपनाया जाएगा। हिंसक प्रदर्शनों को रोकने के लिए कम्यूनिटी बांड की नीति पर अमल लाया जा रहा है।

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