फुलवारीशरीफ के एक ग्रामीण टोले में रहने वाली 11 वर्षीय किशोरी आठ महीने पहले तक चिडिय़ा की तरह पूरे घर में चहकती रहती थी। उसकी मीठी बातों से हर समय घर गुलजार रहता था। अचानक उसका व्यवहार बिल्कुल बदल सा गया। उसने दूसरों से मिलना-जुलना बंद कर दिया। बोलना भी बहुत कम कर दिया। अधिक से अधिक समय मां के साथ रहने की कोशिश करती। घरवालों ने उसके इस बदले व्यवहार को महसूस तो किया लेकिन इसका कारण नहीं समझ पाए। फिर उन्हें लगा कि अब उनकी बेटी बड़ी और समझदार हो रही है, इसलिए बचपना खत्म होता जा रहा है। लेकिन, इन बदलावों की हकीकत कुछ और ही थी।
इसका राज तब खुला जब तबीयत खराब होने पर मां उसे डॉक्टर के पास ले गई। डॉक्टर ने उन्हें जब सच्चाई बताई तो घरवाले सन्न रह गए। पता चला कि किसी ने उसका कौमार्य भंग कर दिया है। कई दिनों तक घरवाले तरह-तरह से उससे पूछते रहे लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। प्रश्न पूछते ही वह रोने लगती थी। घरवालों ने उसे पीटा, फिर भी कोई जवाब नहीं मिला। इसी बीच शहर से उसका चचेरा भाई आया और घरवालों के विरोध के बावजूद किशोरी को लेकर महिला थाने गया। वहां भी किशोरी चुप्पी साधे रही। तीन-चार बार काउंसलिंग करने के बाद किशोरी ने चुप्पी तोड़ी। तब मालूम हुआ कि वह मौसा को देखते ही मां-मां कहकर क्यों चिल्लाने लगती थी। यह घटना 2013 की है।
उसका मौसा जमीन की खरीद-फरोख्त का कारोबार करता था। पहले उसकी बुरी नजर किशोरी की मां पर थी, लेकिन वहां उसका जोर नहीं चला। घरवालों के बीच उसका स्वभाव मजाकिया था। कारोबार का बहाना बनाकर वह साढ़ू के घर पर ही ज्यादा समय रहने लगा। आरोपित, साढ़ू से ज्यादा कमाता था और घरेलू सामान आदि लाकर देता रहता था, इसलिए उसके आने पर किशोरी को छोड़कर परिवार के सभी सदस्य खुश रहते थे। सप्ताह में वह दो-तीन बार उनके घर आता था। किशोरी और उसके भाई-बहनों को हमेशा चॉकलेट, मिठाइयां आदि देता था।
ड्रेस दिलाने के बहाने बनाया शिकार
दशहरे का मौका था। किशोरी के माता-पिता बेटे-बेटियों में भेदभाव भी करते थे। आर्थिक तंगी के कारण पिता ने केवल भाइयों के लिए कपड़े खरीदे। उसने मां को एक ड्रेस दिलाने के लिए कहा पर मांग पूरी नहीं हुई। इस बीच उसका मौसा वहां आ गया। उसने किशोरी को रोते हुए देखा तो उसे साथ लेकर बाजार चला गया। उसने किशोरी को वह ड्रेस दिला दी। इसके बाद वह मौसा के पास बेहिचक जाने लगी। दो-तीन दिन तक मौसा ने किशोरी की हर छोटी-मोटी ख्वाहिश पूरी की।
मेला घुमाने के बहाने ले गया दोस्त के कमरे पर
एक दिन मौसा मेला घुमाने के बहाने किशोरी को दोस्त के कमरे पर ले गया। वहां उसने किशोरी को पसंदीदा खाना खिलाया और कोल्ड ड्रिंक पिलाई। खिलाने-पिलाने के बाद मौसा ने उसके साथ दुष्कर्म किया। पूछने पर घरवालों से कहा कि रास्ते में गिर गई थी। ड्रेस फट गई तो उसने नई दिला दी। रास्ते में ठीक से नहीं चलने पर उसके पिता ने मौसा के सामने ही डांट-फटकार दिया।
दो-तीन महीने बाद हिम्मत जुटाकर उसने मौसा की गोद में बैठने पर एतराज जताया तो मां भड़क गई और उसे झूठी कहने लगी। वह चाहती थी कि मां मौसा को उसके साथ गलत हरकत करते देख लें, इसलिए जब भी मौसा उसके कमरे में घुसता वह मां-मां कहके चीखने लगती पर आरोपित इतना होशियार था कि कभी रंगेहाथ नहीं पकड़ा गया।
शिकायत पर हुई गिरफ्तारी
महिला थाने में शिकायत दर्ज कराने पर पुलिस ने आरोपित मौसा को गिरफ्तार कर लिया। उसके खिलाफ दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज कर उसे जेल भेज दिया गया। आरोपित ने एक जमीन का सौदा साढ़ू के नाम पर किया था। उसी जमीन को हड़पने का दावा कर आरोपित कुछ महीने बाद जमानत पर जेल से छूट गया। हालांकि, थाना पुलिस ने उसके विरुद्ध आरोपपत्र दाखिल कर दिया था।
कहा-महिला थानाध्यक्ष ने
आरोपित अगर रिश्तेदार या करीबी हो तो वह पीडि़त को इतना डरा देता है कि वह किसी के सामने कुछ बोल नहीं पाती। काउंसलिंग कर पीडि़त की मानसिक स्थिति सही कराई जाती है। उसे विश्वास दिलाया जाता है कि आरोपित के साथ बहुत बुरा होने वाला है और वह उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता। परिस्थिति और हाव-भाव को देखकर भी आरोपित का पता लगाया जाता है।
– बिभा कुमारी, महिला थानाध्यक्ष।
इनपुट एंड साभार: JMB