प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तुत अनुपूरक बजट में स्मार्ट सिटी के लिए चयनित सात शहरों के लिए 175 करोड़ रुपये मुहैया कराये जाने का जहां भाजपा ने स्वागत किया है, वहीं विपक्ष ने इसे छलावा करार दिया है। प्रदेश सरकार द्वारा चयनित प्रत्येक स्मार्ट सिटी को 25-25 करोड़ रुपये मिलेंगे। महापौर सीताराम जायसवाल ने स्मार्ट सिटी को लेकर बजट सुरक्षित किये जाने का स्वागत किया है। महापौर ने कहा कि शहर की जरुरतों को मुख्यमंत्री बेहतर समझते हैं। स्मार्ट सिटी के लिए जरूरी सीवेज सिस्टम, इलेक्ट्रिक बस, एलईडी स्ट्रीट लाइट, डस्टबिन और जलापूर्ति आदि को लेकर पहले से ही काम हो रहा है। स्मार्ट सिटी में चयनित होने से गोरखपुर के नागरिकों को और जनसुविधाएं मिलेंगी। भाजपा पार्षद मनु जायसवाल का कहना है कि सपा सरकार में नगर निगम स्मार्ट सिटी की दौड़ से बाहर हो गया था। मुख्यमंत्री गोरखपुर की जरुरतों को देखते हुए कई योजनाओं पर काम कर रहे हैं। गोरखपुर प्रदेश में सबसे विकसित शहर होगा।
25 करोड़ में 10 सड़कें भी नहीं बनेगीं सपा पार्षद जियाउल इस्लाम का कहना है कि स्मार्ट सिटी के नाम पर भाजपा सरकार गोरखपुर शहर के नागरिकों को धोखा दे रही है। जहां स्मार्ट सिटी के लिए 3000 करोड़ की जरुरत है, वहां सिर्फ 25 करोड़ रुपये बजट देना ऊंट के मुंह में जीरा की तरह है। शहर को सीवर सिस्टम के लिए 2000 करोड़ की आवश्यकता है। वहीं कांग्रेस पार्षद संजीव सिंह सोनू कहते हैं कि स्मार्ट सिटी से पहले शहर को जलभराव से मुक्त करने की योजना बननी चाहिए। सिर्फ 25 करोड़ रुपये में कुछ होने वाला नहीं है। शहरियों को सरकार धोखा दे रही है।
स्मार्ट सिटी के लिए सरकार ने तय किये हैं मानक प्रदेश सरकार ने जिन सात शहरों को स्मार्ट सिटी की सुविधाएं देने के लिए चुना है, उनमें गोरखपुर भी शामिल है। जिन शर्तों को स्मार्ट सिटी के लिए अनिवार्य किया गया है, उसमें से कई पर काम भी हो रहा है। स्मार्ट सिटी के मानक में शामिल मॉडल पार्क का काम पहले से चल रहा है। इसके लिए लाल डिग्गी को चिन्हित कर लिया है। पुराने हेरिटेल को लेकर पर्यटन विभाग काम कर रहा है। शहर की कमोवेश सभी प्रमुख सड़कें या तो फोरलेन हो चुकी हैं या फिर प्रस्तावित हैं। प्रमुख मार्गों पर 500 मीटर पर हरा और नीला डस्टबिन लगाया है। प्रमुख सड़कों के किनारे नगर निगम पौधरोपण करा रहा है। अगले 15 अगस्त तक दो लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया है।