दिवाली के दिन शहर का एक स्कूटर कंपनी का शोरूम बंद होने ही वाला था कि 13 साल का एक बच्चा अपनी बहन के साथ दाखिल हुआ। दोनों ने हाथों में बैग ले रखे थे। 62 हजार रुपए के सिक्के लेकर यश बड़ी बहन रूपल के लिए स्कूटर खरीदने आया था। इतने सिक्के देखकर शोरूम कर्मचारी हैरान रह गए। एक बार तो स्कूटर देने से मना कर दिया। जब यश ने पूरी कहानी सुनाई तो शोरूम मैनेजर को राजी होना पड़ा।
आठवीं में पढ़ने वाला यश और उसकी बहन रूपल दो सालों से पॉकेट मनी जमा कर रहे थे। यश के पिता की आटा चक्की है। दोनों को पाॅकेट मनी सिक्कों में ही मिलती थी। जब नोट भी मिलते तो वे इस डर से सिक्कों में बदलवा लेते कि कहीं खर्च हो जाए। जब 62 हजार रुपए जमा हो गए तो दोनों स्कूटर लेने पहुंच गए। माता-पिता को सरप्राइज देना चाहते थे, इसलिए मामा को साथ लिया।
होंडा एडवेंट के जनरल मैनेजर ने बताया कियह हमारे लिए पहला ऐसा मामला था, जब कोई पूरा पैसा सिक्कों के रूप में लेकर स्कूटर खरीदने आया। इससे पहले एक बार एक शख्स 29 हजार रुपए सिक्कों के रूप में लाया था। यह पूरा मामला इमोशनल था, इसलिए हमने एक्स्ट्रा टाइम लेकर शोरूम यश और उसकी बहन रूपल के लिए खोले रखा। पूरे स्टाफ ने बैठकर दो-ढाई घंटों में सिक्कों को गिना।