बिहार के नालंदा थाना क्षेत्र के कुल फतेहपुर पंचायत के फतेहपुर गांव निवासी व नालंदा का लाल सीआरपीएफ जवान रौशन कुमार बुधवार को ड्यूटी के दौरान छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में शहीद हो गया। रौशन दंडेवाड़ा के सुगमा कैंप से महज 70 मीटर की दूरी पर जंगल में ड्यूटी कर रहा था, तभी आईडी ब्लास्ट हुआ। इसमें रौशन मौके पर शहीद हो गये। रौशन की शहादत की जानकारी मिलते ही परिजनों के बीच कोहराम मच गया।
फोन पर मिली जानकारी
रौशन के पिता प्रताप राम ने बताया कि सुबह 7.30 बजे सीआरपीएफ के किसी अधिकारी ने फोन पर बताया कि उनका पुत्र रौशन शहीद हो गया है। इस बात की जानकारी जब गांव के लोगों के बीच पहुंची तो पूरे गांव में मातम छा गया। लोग सांत्वना देने के लिए पहुंचने लगे, लेकिन शहादत की सूचना मिलने के छह घंटे तक जिला व पुलिस प्रशासन के अलावा कोई भी जनप्रतिनिधि उनके घर पर नहीं पहुंचे।
गुरुवार को दोपहर में आएगा पार्थिव शरीर
शहीद रौशन के पिता ने बताया कि विभाग के एक बड़े अधिकारी ने फोन पर बताया कि गुरुवार की दोपहर तक उनके पुत्र का पार्थिव शरीर गांव पहुंचेगा। उसके बाद राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। हालांकि अभी यह तय नहीं किया गया है कि जवान का अंतिम संस्कार कहां होगा।
बचपन से ही मृदुल स्वभाव का था रौशन
शहीद रौशन के पिता प्रताप राम ने फफकते हुए कहा कि रौशन चार बेटों में तीसरे नम्बर पर था। वह घर का कमाऊ पूत था जिस पर हमसभी को गर्व था। वह बचपन से ही मृदुल स्वभाव का था। सबसे बड़ा पुत्र संतोष कुमार किसी निजी कंपनी में काम करता है। वहीं दूसरा पुत्र नियोजित शिक्षक है तथा सबसे छोटा पुत्र पुटुस अभी पढ़ाई कर रहा है। रौशन के पिता खुद मेहनत मजदूरी कर सभी बच्चों का भरण-पोषण किया। एक पुत्री है जिसकी शादी हो गई है।

दो साल पहले हुई थी सीआरपीएफ की नौकरी
रौशन की दो साल पहले यानी 2017 में वह सीआरपीएफ की नौकरी में योगदान किया था। उनकी पहली पोस्टिंग छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में ही हुई। नौकरी होने के बाद पूरा परिवार खुश था कि शायद अब घर की माली हालत सुधर जाएगी। लेकिन अचानक उसकी मौत की खबर आते ही पूरा परिवार फिर से बिखर गया।
एक माह पहले रौशन आया था घर
परिजनों व गांव वालों ने बताया कि रौशन एक माह पहले ही घर आया था और परिजनों को दिन बहुरने का सपना दिखा गया था। पिता प्रताप राम ने बताया कि घर की माली हालत काफी खराब है। पुत्र के नौकरी होने के बाद लगने लगा था कि अब अच्छे दिन आ गए पर किस्मत को कुछ और ही मंजूर था।
प्रशासनिक पदाधिकारियों व प्रतिनिधियों ने दिखाई उदासीनता
एक ओर जहां पूरा गांव परिवार मातम मना रहा था वहीं दूसरी ओर घटना के छह घंटे बीतने के बावजूद शहीद के घर पर किसी प्रशासनिक पदाधिकारी व जनप्रतिनिधि के नहीं पहुंचने से लोगों में काफी नाराजगी दिख रही थी। गांव वाले भी प्रशासन व जनप्रतिनिधि के इस उदासीनता पर तरह-तरह के चर्चा कर रहे थे।
सावन आते ही सिहर उठते थे प्रताप राम
शहीद रौशन के पिता प्रताप राम भावुक होते हुए कहा कि सावन का महीना आते ही दिल सिहर उठता है। इससे पूर्व दो बार सावन के महीने में इस घर परिवार के साथ बड़ा हादसा हो चुका है। उन्होंने बताया कि पिछले साल घर में एक रिश्तेदार आए हुए थे जो अचानक छत से नीचे गिर गए। गंभीर हालत में उसे बिहारशरीफ सदर अस्पताल एक गाड़ी से लेकर जा रहे थे, तभी मेरी गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इसमें मेरा पैर टूट पड़ा। इससे पहले भी सावन के महीने में मेरे परिवार के साथ कई हादसे हो चुके हैं। इस साल का सावन भी रुला गया।
इनपुट:जेएमबी

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