हम बिहारी अक्सर भगवा चोला ओढ़े किस भी व्यक्ति के सामने सर झुका देते हैं, हमें यह लगता है कि भगवा वस्त्र धारण करने वाला शख्स एक शुद्ध मन वाला को साधू या महात्मा होगा. लेकिन आपको बता दें कि यह जरुरी नहीं की भगवा ओढ़ने वाला एक महात्मा ही हो या कोई महात्मा भगवा कपड़ा ही पहने. क्योंकि आज कई भूखे भेड़िये हैं भी जप सिर्फ अपनी हवस की गन्दी आग बुझाना चाहते हैं, वो भी इन वस्त्रों का उपयोग अपनी असलियत छुपाने के लिए करते हैं.
बता दें कि एक साधू जिसे आज से पहले हर कोई आदर के भाव से देखता था लेकिन उसकी असलियत सामने आने के बाद हर इंसान दंग रहा गया. बता दें की पकी दाढ़ी और बालों वाले बूढ़े साधू ने अपनी मर्यादा या उम्र का लिहाज किये बिना अपनी बेटी की उम्र के महिला का दुष्कर्म कर दिया. महिला थोड़ी से दिमागी रूप से कमोजर थी. लेकिन जब उसके साथ यह घिनौनी हरकत हो रही थी तब वह रोने लगी और चीखने का प्रयास किया. इस बात की भनक लगते ही उस निर्लज साधू को स्थानीय लोगों ने रंगे हाथ पकड़कर लिया और जमकर पीटना शुरू कर दिया. फिर उसे पुलिस को सौंप दिया. घटना पूर्वी चंपारण के चकिया थाना क्षेत्र के एक गांव की है.
कहा जा रहा है कि पूर्वी चंपारण के चकिया स्थित रमडीहा निवासी साधु नंदबिहारी मिश्र इलाके के एक गांव में बने मंदिर में पूजा-पाठ करता था. सोमवार को उसने एक मंदबुद्धि युवती को अपने झांसे में लिया. युवती को वह गांव के बाहर एक खेत में ले जाकर उसके साथ दुष्कर्म कर रहा था. इसी बीच स्थानीय लोगों की नजर पड़ी और उसे पकड़ लिया. आक्रोशित ग्रामीणों ने साधु की जमकर धुनाई की। इस दौरान उसे जूते-चप्पलों व लाठी-डंडों से पीटा गया. इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई और पुलिस ने साधु को पूछताछ के बाद जेल भेज दिया.