भारत एक विदेशी हवाई अड्डे का परिचालन करने जा रहा है। भारत को ऐसा करने का अधिकार मिला है। यह हवाईअड्डा श्रीलंका के महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर हंबनटोटा में स्थित है। कहा जा रहा है कि यह हवाई अड्डा काफी घाटे में चल रहा था। जिसके बाद भारत और श्रीलंका ने इसे मिलकर चलाने का फैसला किया है। इस बात की जानकरी श्रीलंका के नगर विमानन मंत्री निमल श्रीपाल डी सिल्वा ने संसद में भी दी। उन्होंने कहा कि घाटे में चल रहे मत्ताला राजपक्षे अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे को भारत दोनों देशों के बीच एक संयुक्त उपक्रम के रुप में चलाएगा। साझा उपक्रम में भारत बड़ा भागीदार होगा। यह हवाई अड्डा राधानी कोलंबो से 241 किलोमीटर दक्षिण – पूर्व में है।
इसे 21 करोड़ डॉलर की लागत से बनाया गया है लेकिन वहां से ज्यादा उड़ान न होने के कारण यह घाटे में है। इसे विश्व का सबसे खाली हवाईअड्डा कहा जाता है। डी सिल्वा ने संसद में कहा, “हमें घाटे में चल रहे इस हवाईअड्डे को सही करना होगा जिसके कारण 20 अरब रुपये का भारी नुकसान हुआ है। अनुबंध की अंतिम शर्तें अभी तय की जानी हैं। विपक्षी सांसद कणक हेरत ने मंत्री से सवाल किया कि क्या इस हवाईअड्डे का परिचालन भारत को तुष्ट करने के लिए दिया गया है ?। इसके जवाब में डी सिल्वा ने कहा कि सरकार ने इसके परिचालन के लिए 2016 में निविदा मंगवायी थी।”
उन्होंने कहा, “हमें मदद की पेशकश सिर्फ भारत ने की। अब हम भारत के साथ संयुक्त उपक्रम बनाने की बातचीत कर रहे हैं।” यह हवाईअड्डज्ञ पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के नाम पर बना है। उनके कार्यकाल के दौरान इसे चीन के भारी- भरकम ब्याज वाले कर्ज से बनाया गया था। इसका परिचालन मार्च 2013 में शुरू हुआ था। जो इसी वर्ष बंद हो गया था। इसका कारण घाटा लगना था।