कभी कभी सोचा हैं, आप आग में घिर गए हैं और आपने अपने भाई, भांजा, ड्राइवर सब को फ़ोन कर के बता रहे हो की अब कुछ ही पल में ज़िंदगी थमने वाली हैं, आग अंदर हैं और दरवाज़ा बाहर से बंद हैं, सब दरवाज़े तक पहुँच भी जाए पर आपको MARTE देख कुछ न कर सके, आग के आगे बेबस हो जाए. सोच कर मन ठिठक गया ना ? देश में फिर ऐसा ही हुआ हैं.
किराड़ी के इंदर एंक्लेव स्थित दो मंजिला मकान में आग लगने से एक ही परिवार के 9 लोगों की मौत हो गई। हादसे में जान गंवाने वाले उदयकांत चौधरी परिवार के साथ मकान में करीब ढाई साल से किरायेदार के तौर पर रह रहे थे। वह जनकपुरी स्थित कस्टम क्लीयरेंस की एक कंपनी में नौकरी करते थे। उन्होंने मकान में रहने के लिए ढाई लाख रुपये मकान मालिक अमरनाथ को दिए थे। वे कुछ दिनों से मकान मालिक से रुपये की मांग कर रहे थे और रुपये मिलने के बाद एक जनवरी को मकान खाली करना चाहते थे। इससे पूर्व ही वह परिवार सहित असमय काल के गाल में समा गए। उन्होंने अंतिम समय तक खुद व परिवार के सदस्यों को बचाने की पूरी जद्दोजहद की।
मंगोलपुरी के संजय गांधी अस्पताल में मिले उदय के जीजा गगन मिश्र ने बताया कि घटना के बाद उनकी पत्नी हीरा देवी के मोबाइल पर फोन आया था। तब उदय ने कहा कि घर में आग लग गई है और जल्द आकर उसे बचाएं। उदय ने पास की गली में रहने वाले अपने भांजे गोपाल झा, सास रेणू देवी को भी कॉल कर मदद की गुहार लगाई थी। उन्होंने पड़ोस में रहने वाले ऑटो चालक को कॉल किया था। वे सभी से यही कहते रहे कि कोई उन लोगों की जान बचा ले। उनकी कॉल के बाद लोग मौके पर भी पहुंचे, लेकिन आग की तेज लपटों के आगे सब बेबस हो गए।
उदयकांत ने भाई को भी किया था कॉल
हादसे में जान गंवाने वाले उदयकांत ने अपने भाई विजयकांत को भी फोन पर कहा था कि घर में आग लग गई है। धुआं घर के अंदर आ रहा है और हमारा दम घुट रहा है। कृपया हमें बचाएं नहीं तो हम मर जाएंगे। मैं दरवाजा खोल नहीं सकता क्योंकि यह बाहर से बंद है। उदय ने पास की गली में रहने वाले अपने भांजे गोपाल झा, सास रेणू देवी को भी कॉल कर मदद की गुहार लगाई थी। उन्होंने पड़ोस में रहने वाले ऑटो चालक को कॉल किया था। वे सभी से यही कहते रहे कि कोई उन लोगों की जान बचा ले। उनकी कॉल के बाद लोग मौके पर भी पहुंचे, लेकिन आग की तेज लपटों के आगे सब बेबस हो गए।