जो लोग अपने घर में लड़का ही पैदा होने की ख्वाहिश रखते हैं. ये खबर उनके लिए है. इस पढ़के सब यही कहेंगे- इस जनम, अगले जनम और हर जनम मुझे बिटिया ही दीज्यो. हम बात पूजा बिजारनिया की कर रहे हैं, जिन्होंने अपने पिता को नया जीवन दिया है. पूजा ने अपने लिवर का ट्रांसप्लान्ट करवाके उसका हिस्सा अपने पिता को दिया, ताकि उनकी जान बच सके. इस केस को संभाल रहे डॉक्टर रचित भूषण ने पूजा को हीरो बताते हुए एक पोस्ट फेसबुक पर डाला, जो इस वक्त सोशल मीडिया पर छाया हुआ है. डॉ. भूषण ने अपने पोस्ट में लिखा है –
बहादुर लड़की: असल जिंदगी में भी सच्चे हीरो होते हैं जो किस्मत, डर और नामुमकिन जैसे शब्दों पर भरोसा नहीं करते. जो लोग लड़कियों को बेकार समझते हैं उन्हें इस लड़की ने जवाब दिया है. एक ऐसी लड़की जिसे मैं निजी तौर पर नहीं जानता, लेकिन वह मेरे लिए हीरो है. उसने लीवर ट्रांसप्लांट कर अपने पिता की जान बचा ली. मुझे तुम पर गर्व है. ऐसे लोगों से बहुत कुछ सीखने वाला है. गॉड ब्लेस यू पूजा बिजारनिया.
डॉक्टर रचित भूषण रांची (झारखंड) के सदर हॉस्पिटल में सिविल असिस्टेंट सर्जन हैं. दैनिक भास्कर को डॉक्टर ने बताया कि पूजा के पिता का लिवर काफी खराब हो चुका था. यदि ट्रांसप्लान्ट नहीं किया जाता तो उनकी जान भी सकती थी. पूजा के अलावा फैमिली में दो और बेटियां हैं. लेकिन पूजा ने तय किया कि अपने लिवर का एक हिस्सा देकर वह अपने पिता की जिंदगी बचाएंगी. आपको बता दें कि लिवर ट्रांसप्लान्ट में पूरा लिवर नहीं, बल्कि उसका एक हिस्सा ट्रांसप्लान्ट किया जाता है.
25 हजार को लिवर की जरूरत, 800 को मिल पाता है
पूजा वाकेयी रियल लाइफ हीरो हैं. यही कारण है कि लोग उनकी वाहवाही करते नहीं थक रहे हैं. डॉ. भूषण की पोस्ट ही अब तक 10 हजार से ज्यादा लोग शेयर कर चुके हैं. मगर पोस्ट शेयर करना ही काफी नहीं है. लोगों को पूजा से सीखते हुए ऑर्गेन डोनेशन के प्रति अपनी सोच बदलनी चाहिए. देश में करीब 1.5 लाख लोगों को किडनी ट्रांसप्लांट के लिए किडनी की जरूरत है. जरूरतमंद 90% से ज्यादा लोग तो डोनर के इंतजार में जान गंवा देते हैं. यही हाल लिवर ट्रांसप्लांट का है. हर साल 25000 लोगों को लिवर की जरूरत होती है, मगर 800 लोगों को ही लिवर मिल पाता है. बाकी की किस्मत में मौत होती है. ऐसे में हमें खाली पोस्ट शेयर करने तक सीमित न रहकर इस बारे में भी सोचना चाहिए. शुरुआत आप ब्लड डोनेशन से कर सकते हैं.