बेटियां बोझ नहीं इसे साबित किया है राजस्थान के छोटे से गांव की तीन बेटियों ने इन तीनों बहनो ने एक साथ IAS का एग्जाम क्लियर किया है वो भी अच्छे रैंकिंग के साथ. ये बेटियां किसी नेता या ऑफिसर की नहीं है बल्कि एक विधवा मां की संतान है जो खेतों में काम कर इनको बड़ा की है.इन तीनो के नाम है. कमला जाट जिसने यूपीएससी में 32वीं रैंक हासिल की है ,गीता जाट ने 64वीं रैंक और ममता चौधरी ने 128वीं रैंक हासिल कर राजस्थान में रिकॉर्ड बनाया है. एक घर से तीन आईएएस बनने का. आज पूरा राजस्थान इन पर गर्व कर रहा है और आस पास के लोग इन्हे राजस्थान की किरण बेदी बोल कर खुश हो रहे है।
तीनों अफसर बिटिया से मिलिए
चंद्रसेन सागर की कुल पांच बेटियां और एक बेटा है, घर में सबसे पहली खुशखबरी 2009 में आई, जब बड़ी बेटी अर्जित आइआरएस अफसर बनीं, अर्जित ने गोविंद बल्लभ पंत यूनिवर्सिटी से बीटेक करने के बाद तैयारी की फिलहाल मुंबई में कस्टम डिपार्टमेंट में डिप्टी कमिश्नर हैं, 2009 के बाद ठीक छठें और सातवें साल परिवार को लगातार गुड न्यूज़ मिले, जब परिवार की दो और बेटियां आईएएस बनकर निकलीं, दूसरी बेटी अर्पित को 2015 में सफलता मिली वहीं पांचवे नंबर की सबसे छोटी बेटी आकृति 2016 बैच में सफल हुई,
अर्पित को गुजरात काडर मिला है, फिलहाल ठासरा की एसडीएम है, वहीं आकृति को कनार्टक काडर मिला हैं, फिलहाल उनकी गुलबर्गा में बतौर ट्रेनी मजिस्ट्रेट तैनाती है, अर्पित ने मोतीलाल नेहरू इंस्टीट्यूट इलाहाबाद से बीटेक के बाद आईआईएम कोलकाता से एमबीए किया. फिर आईएएस बनीं. जबकि आकृति ने श्रीराम कॉलेज ऑफ कामर्स दिल्ली से ग्रेजुएशन के बाद तैयारी की और आईएएस बनने का सपना पूरा किया. चंद्रसेन सागर की तीसरे नंबर की बेटी अंशिका फैशन डिजाइनर हैं, वहीं चौथे नंबर की बेटी अंकिता भी फैशन डिजाइनिंग के बाद अब बाकी बहनों से प्रेरणा लेकर दिल्ली में सिविल सर्विसेज की तैयारी में जुट गई हैं, चंद्रसेन की छठे नंबर के इकलौते बेटे का भी ग्रेजुएशन पूरा हो चुका है, वे भी बहनों की तरह आईएएस बनना चाहते हैं।