सऊदी अरब में भारत के लाखों लोग रहते हैं. जिनमें सबसे ज्यादा वहां अपना और अपने परिवार के गुजारे के लिए काम करने जाते है. जहां उन्हें भारत के मुकाबले अच्छा पैसा मिलता है. जानकार हैरानी होगी कि मौजूदा समय में सऊदी अरब में करीब 32.5 लाख भारतीय काम को लेकर रह रहे हैं. लेकिन अब इनकी संख्या घटती जा रही है. इसकी वजह है सऊदी में नई परेशानियों का खड़ा हो जाना.
परेशानियों के वजह से यहां पर बसे भारतीय अपने परिवार के सदस्यों को देश वापस भेज रहे हैं. यह सिलसिला पिछले कुछ समय से तेज हो गया है. बताया जा रहा है कि सऊदी अरब की सरकार ने कुछ नियमों को सख्त कर दिया है और कई सेवाओं पर शुल्क लेना भी शुरू कर दिया है. इसकी वजह से भारतीय कामगारों को अपने परिवार को देश वापस भेजने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है.
तेल की कीमतों में लंबे समय तक रही कमी के सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था को खासा नुकसान हुआ है. कहा जा रहा है कि सरकार दूसरे स्रोतों से घाटे की भरपाई कर रही है. सऊदी अरब की सरकार ने प्रवासियों को मिल रही कई सुविधाओं पर फीस लगा दी है. अब यहां पर प्रति व्यक्ति के हिसाब से प्रवासियों को सालाना रेजीडेंस फीस देनी होगी. इससे पहले प्रति परिवार के हिसाब से फीस ली जाती थी. इसके अलावा आश्रितों के लिए फीस बढ़ा है. वर्तमान समय में यह फीस 100 रियाल प्रति महीना है और एक जुलाई 2018 से इसे दोगुना 200 रियाल कर दिया जाएगा. आगे भी इसमें इजाफा होता रहेगा. एक जुलाई 2019 से यह 300 रियाल और 1 जुलाई 2020 से यह 400 रियाल हो जाएगी. इसका मतलब यह है कि चार सदस्यों वाले एक परिवार को 1 जुलाई से 9600 रियाल चुकाने होंगे. अगर भारतीय रुपयों में बात करें तो यह रकम 1.72 लाख रुपए होती है.
इस नियम के बाद यह देखा गया है कि भारत में हैदराबाद के स्कूलों में अचानक भारतीय प्रवासियों के कई बच्चों ने दाखिला लिया. इनकी बढ़ी हुई दखिलें की संख्या भी इस बात का सबुत है. सऊदी से भारतीय कामगारों के परिवार लौट रहे हैं.