बिहार में अरबों का कोयला भंडार मिला है. जो पुरे बिहार के लोगों के लिए बड़ी खुशखबरी है. यहां पर एक नही बल्कि पुरे 48 गांवों की जमीनों ने नीचे कोयला पाया गया है. जो बिहार इंधन की बड़ी समस्या को दूर कर देगा. साथ ही इससे रोजगार भी उत्पन्न होंगे और लोगों को काम की तलाश में बिहार से बाहर नहीं जाना पड़ेगा. भू वैज्ञानिकों की टीम ने बिहार के पीरपैंती व कहलगांव में कोयले के पर्याप्त मात्रा मिलने की बात कही है. यहां पर बीसीसीएल धनबाद व सीएमपीडीआई की संयुक्त केंद्रीय टीम ने भी मंगलवार कोयले की जांच की है.
बीसीसीएल के जीएम सोमेन चटर्जी, योजना विभाग के डायरेक्टर आनंदजी प्रसाद, प्लानिंग अफसर नीरज कुमार, भूगर्भ शास्त्री सुभाष सुरेश की टीम ने पीरपैंती के सीओ नागेंद्र कुमार से मुलाकात की. जिन-जिन जगहों पर कोयले के भंडारण की रिपोर्ट भू वैज्ञानिकों की टीम ने दी है उस मौजा का मास्टर मैप सीओ को दिया गया. उस क्षेत्र की आबादी क्या है, कितनी सरकारी जमीन है, कितनी उपजाऊ जमीन है, बगीचा, नहर तालाब, आवासीय जमीन की पूरी जानकारी सीओ से मांगी गई है.
बीसीसीएल के जीएम सोमेन चटर्जी ने कहा कि निरीक्षण कर सीओ को मास्टर मैप दिया गया है. जल्द से जल्द 48 गांव के जमीन मालिक का नाम खाता, खेसरा व रकवा की जानकारी मांगी गई है। 9 जी से 13 जी किस्म का कोयला सबसे कमजोर कोयला माना जाता है. जो पावर प्लांट के लिए उपयुक्त है. पीरपैंती में कोयले के खनन की संभावना है. क्षेत्र की भौतिक स्थिति की भी जांच की जा रही है. टीम के सदस्यों ने बताया कि कोयला खनन के बाद कहलगांव एनटीपीसी, फरक्का, बाढ़ बिजली घरों में कम खर्च में कोयले की आपूर्ति होगी. साथ ही कोयले के खुदाई और ढुलाई को लेकर रोगजार भी मिलेंगे. जल्द ही खनन का काम भी शुरू हो किया जायेगा. इसलिए कोयला की खुदाई के लिए जमीन चिन्हित लिया गया है.
पीरपैंती क्षेत्र में सर्वे कर रही जीएसआई के वैज्ञानिकों की माने तो यहां 150 मीटर से 200 मीटर के नीचे अच्छे किस्म का कोयला मौजूद है. जांच में यह बात सामने आई है. अभी अन्य जमीनों की जांच भी की जा रही है. ताकि और अधिक से कोयले भंडार का पता लगाया जा सके.