नई दिल्ली: अगर आपके पास 15 साल से ज्यादा पुरानी कार है और आप उसका रेजिस्ट्रेशन प्रमाण पत्र यानी RC रीन्यू करवाना चाहते हैं तो करीब आठ गुना फी देनी होगी। यह नया नियम अक्टूबर से लागू होगा और तब आपको आर.सी. रीन्यूअल के लिए 5,000 रुपये देने होंगे। इसी तरह, पुरानी बाइकों की आरसी रीन्यूअल के लिए 1,000 रुपये लगेंगे। अभी मात्र 300 रुपये की फी भरनी पड़ती है। 15 साल पुरानी बस या ट्रक का फिटनेस सर्टिफिकेट रीन्यू करवाने के लिए 12,500 रुपये की फी लगेगी। यह मौजूदा फी से करीब 21 गुना है।
सड़क परिवहन मंत्रालय ने एक ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया है जिसमें फी बढ़ोतरी का प्रस्ताव है। दरअसल, फी बढ़ाने का नया प्रस्ताव पुरानी गाड़ियों को रोड से हटाने की नीति (वीइकल स्क्रेपेज पॉलिसी) का एक हिस्सा है। प्रस्ताव के मुताबिक, अगर कोई आरसी रीन्यू करवाने में देरी करता है तो उसे प्रति माह 300 से 500 रुपये की दर से जुर्माना भरना पड़ेगा। वहीं, कमर्शल वाहनों का फिटनेस सर्टिफिकेट रीन्यू करवाने में देरी हुई तो प्रति दिन 50 रुपये की दर से जुर्माना लगेगा।
अब जब सरकार प्रदूषण फैलाने वाले पुराने वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने के लिए नए-नए प्रस्ताव ला रही है तब यह सवाल उठ रहा है कि क्या सरकार दिल्ली और आसपास के इलाकों में 15 साल पुराने डीजल और पेट्रोल वाहनों पर पाबंदी हटाने की मांग एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट से करेगी? उपभोक्ताओं की आवाज उठाने वाले अनिल सूद का कहना है, “अगर सरकार प्रदूषणकारी पुराने वाहनों को चरणबद्ध तरीके से हटाने की नीति ला रही है तो फिर यह पूरे देश में एकसाथ लागू होनी चाहिए। इसलिए, सरकार को सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी से उनके आदेशों को वापस लेने की गुहार लगानी चाहिए।”हालांकि, अभी यह देखना होगा कि क्या सरकार इलेक्ट्रिक और वैकल्पिक ईंधन से चलने वाले पुराने वाहनों को स्क्रैपिंग पॉलिसी से छूट देगी? पुराने वाहनों को हटाने की रणनीति के तहत अब निजी वाहन 15 साल पुराना हो जाए तो हर पांचवें साल उसकी आरसी रीन्यू करवानी होगी। इसी तरह, अगर कमर्शल वाहन आठ साल पुराना हो जाए तो उसे हर साल फिटनेस सर्टिफिकेट लेना होगा।
रोड ट्रांसपोर्ट मिनिस्ट्री ने फिटनेस टेस्ट में पास नहीं हो पाने वाले वाहनों को स्क्रैप करने के लिए रजिस्टर्ड स्क्रैपिंग सेंटर्स खोलने का भी ड्राफ्ट जारी किया है। प्रस्ताव के मुताबिक, कोई भी व्यक्ति देश के किसी भी स्क्रैपिंग सेंटर में अपना वाहन स्क्रैप करवा सकता है और अपना स्क्रैपिंग सर्टिफिकेट किसी दूसरे को भी दे सकता है ताकि दूसरे अगर नई गाड़ी खरीदें तो उन्हें नियम के मुताबिक छूट मिल सके। ड्राफ्ट में कहा गया है कि गाड़ी स्क्रैप करवाने से पहले स्क्रेपिंग सेंटर गाड़ी के असली मालिक का पता जरूर लगाएगा। एक अधिकारी ने बताया, “स्क्रैप की गई गाड़ी की कीमत क्या मिलेगी, यह बाजार मूल्य पर आधारित होगा न कि सरकार कोई पैमाना तय करेगी।”
वहीं, मंत्रालय ने यह भी कहा है कि अगर आपने नई कार खरीदी और इसमें कुछ दिन बाद ही कोई गड़बड़ी निकलती है तो कार बनाने वाली कंपनी को इसे रिकॉल करनी होगी। यही नहीं, कंपनी आपको एक नई कार देगी। इस नियम को जो कंपनी नहीं मानेंगे, उस पर 10 लाख रुपये से एक करोड़ रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता है। यह नियम 1 अप्रैल से लागू होने वाला है। इसके लिए सरकार की तरफ से नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। नए नियम के तहत कोई भी कार निर्माता कंपनी तभी कार रीकॉल के लिए बाध्य होगी जब गाड़ी लॉन्च होने के सात साल के भीतर उसके पास 20 फीसदी गाड़ियों में खराबी की शिकायतें आएंगी