पेट्रोल-डीजल की कीमतों के कारण आम आदमी की चिंता हमेशा बनी रहती है. क्रूड की बढ़ती कीमतों से पेट्रोल-डीजल के दामों में लगातार वृद्धि हो रही है. हालांकि, सरकार मूल्य को नियंत्रित करने की कोशिश लगातार कर रही है. राज्यों ने कुछ महीने पहले पेट्रोल-डीजल से वैट घटाया है. लेकिन, फिर भी पेट्रोल-डीजल के एक लीटर की कीमत 250 रुपये बढ़ सकती है. ग्लोबल स्तर पर हालात कुछ ऐसा ही इशारा करते नजर आ रहे हैं. ईरान और सऊदी अरब के बीच लगातार तनाव बढ़ रहा है. यदि युद्ध के हालात बनते हैं तो भारत में इसका खासा असर पड़ेगा और पेट्रोल-डीजल की कीमत में वृद्धि हो जाएगी. इसकी कीमत 250/लीटर तक जा सकती है. यदि ऐसा होता है तो महंगाई भी कई गुना बढ़ जाएगी.

मामले को लेकर एक रिपोर्ट सामने आयी है जिसके मुताबिक, यदि सऊदी अरब और ईरान के बीच युद्ध होता है तो इंटरनेशनल मार्केट में क्रूड (कच्चे तेल) के दाम में 500% का उछाल आ सकता है. युद्ध शुरू होते ही क्रूड के दाम 200 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने के कयास लगाये जा रहे हैं. यही नहीं अगर ईरान और सऊदी अरब एक दूसरे की तेल रिफाइनरी पर हमला करते हैं तो क्रूड का दाम 300 डॉलर प्रति बैरल तक भी जा सकता है. ऐसे में युद्ध शुरू होते ही भारत में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 250 रुपए प्रति लीटर तक जाने का अनुमान है.

कैसे हो सकता है मूल्य नियंत्रित
जानकारों की मानें तो ईरान और सऊदी के बीच युद्ध होने के बावजूद पेट्रोल की कीमतें नियंत्रित हो सकती हैं. क्योंकि, दुनिया का सबसे बड़ा क्रूड आयात अमेरिका भी अब क्रूड निर्यात करने लगा है. वहीं दूसरी ओर, चीन और अन्य देशों में क्रूड की मांग में कोई बड़ा इजाफा देखने को नहीं मिला है. ज्यादातर देश अब इलेक्ट्रिक व्हीकल के प्रयोग को बढावा देने लगे हैं, इसीलिए आगे चलकर डिमांड में कमी हो सकती है. लेकिन, यदि युद्ध होता है तो कम समय में पेट्रोल की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ेगी.


कैसे और क्यों बढ़ेंगे दाम आप भी जानें

बिजनेस चैनल सीएनबीसी की मानें तो क्रूड ऑयल सप्लाई करने वाले सभी देशों में सऊदी अरब का कुल 20 फीसदी हिस्सा है. ऐसे में सऊदी और ईरान के बीच यदि तनाव में और वृद्धि होती है, तो सप्लाई बंद हो जाएगी. ऐसे में क्रूड के दाम में तेजी होना ही है. सऊदी के साथ मिलकर कुवैत, ओमान और कतर जैसे अरब देश प्रतिदिन 28 मिलियन बैरल कच्चे तेल का उत्पादन करते हैं. युद्ध की स्थिति में क्रूड का उत्पादन ठप हो जाएगा जिससे सप्लाई में आने वाली कमी के चलते क्रूड की कीमतें छलांग मारेंगी.

आप भी जानें ईरान-सऊदी अरब के बीच तनाव का कारण

मध्य पूर्व के दो ताकतवर देशों सऊदी अरब और ईरान के बीच हमेशा तनाव बना रहता है. दोनों देश धर्म से लेकर तेल और इलाके में दबदबा कायम करने जैसी हर बात पर दो-दो हाथ करने को तैयार रहते हैं. हाल ही में रिश्तों में फिर से खटास आयी है. जनवरी 2016 में सऊदी अरब में एक प्रमुख शिया मौलवी को मौत की सजा दी गयी थी जिसपर सरकार विरोधी प्रदर्शन भड़काने के आरोप लगे. इस घटना से ईरान नाखुश था. ईरान में सऊदी राजनयिक मिशन पर हमले किये गये. घटना के बाद सऊदी अरब ने ईरान से अपने राजनयिक रिश्ते भी तोड़ लिये.

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