जीवन जागृति सोसायटी के द्वारा बनाए गए वाटर हेलमेट का सबौर के NH-80 के पास परीक्षण किया गया। यहां इंग्लिश गांव के 15 लोगों के सिर में वाटर हेलमेट बांधा गया। उनमें से एक 70 साल के बुजुर्ग भी थे। ऐसे में परीक्षण करने के लिए पानी में कुछ दूर जाने के बाद सभी लोग वाटर हेलमेट पहनकर कई फीट गहरे पानी में कूद गए। इस दौरान देखा गया कि सभी लोग बिना तैरे कई मिनटों तक पानी की सतह पर आराम से रहे। यहां तक कि उनको चिप्स का पैकेट खाने के लिए भी दिया गया तो वे आसानी से उसे खा सके।
ऐसे काम करता है वाटर हेलमेट
वाटर हेलमेट को एक बेल्ट के बॉक्स में अच्छी तरह से डाल दिया गया है और स्कूल बैग की तरह शरीर में लॉक सिस्टम से बांध दिया गया, ताकि लोगों के दोनों हाथ अन्य कामों जैसे सामान उठाने के लिए खुले रहें। पानी में हेलमेट लगाए उन लोगों को किसी तरह की परेशानी नहीं हुई, बल्कि दो पानी में बह गए थे, वो धार में बहते चले गए लेकिन डूबे नहीं। इसकी लागत मात्र 150 के लगभग आएगी। लोग अपने स्तर से भी बना सकते है। अन्य जल सुरक्षा उपकरण क़ी तुलना में ये कम लागत का है । सालों तक टिकने वाला है।यह परीक्षण को मीडिया के सामने किया गया और सैकड़ों लोग इसके गवाह बने। परीक्षण पूरी तरह से सफल रहा।
डॉक्टर अजय सिंह जीवन जागृति सोसायटी के अध्यक्ष हैं और सामाजिक कार्यो के लिए जाने जाते हैं। पहले भी आग लगे भवन से बाहर निकलने के लिए डफेट बनाया है, जिसे सरकार ने स्वीकृति दी है।
नाव हादसों को लेकर आई प्रेरणा
जिस तरह से बाइक सवार दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है तो हेलमेट उसके सर को फटने नही देता है, ठीक उसी तरह से यदि कोई नाव में इसे पहन कर बैठता है और नाव दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है तो जो तैरना नहीं जानते है वह नहीं डूबेंगे। पानी की तेज धार में भले ही वह बह जाएं, लेकिन डूबेंगे नहीं।
डॉक्टर सिंह का कहना है कि जब कोई नदी में हादसे का शिकार हो जाता है तो सरकार हर साल करोड़ों रुपए अनुदान में उनके परिवार को देती है। अगर उसी अनुदान की राशि से ऐसे वाटर हेलमेट को बनाकर नाव में दे दिया जाए, जिसे नाविक पैसेंजर को पहना कर ही लोगों को बैठाए और उतरने पर इसे वापस खोल कर रख ले, तो चीजें बदल सकती हैं। लागत भी बहुत आसानी से निकल जाएगी।
अधिकारी खुद करें परीक्षण फिर दें आज्ञा
उन्होंने सरकार से गुजारिश की है कि संबंधित अधिकारी खुद इसका परीक्षण करें और इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाए। साथ ही इस वाटर हेलमेट को हेलमेट की तरह नाव में चढ़ने से पहले पहनना अनिवार्य कर दिया जाए, ताकि सैकड़ों की जानें बच सकें।