NDA को आंध्रप्रदेश में एक बड़ा झटका लगा है. वहां TDP बीजेपी से अलग हो गई है. कहा जा रहा है कि आंध्रप्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिए जाने के अलावा वहां के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को प्रधानमंत्री मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली की एक बात काफी खली है. जिसका जिक्र उन्होंने खुद भी किया है.
चंद्रबाबू ने कहा, “मैं 29 बार दिल्ली गया लेकिन उसका कोई फायदा नहीं मिला. गठबंधन के सदस्य होने के नाते ये मेरी जिम्मेदारी बनती है कि प्रधानमंत्री को पार्टी के फैसले से अवगत कराऊं. मेरे ओएसडी ने पीएम के ओएसडी से बात की लेकिन मोदी फोनलाइन पर नहीं आए.” उन्होंने यह भी बताया कि राज्य ने निर्माण कार्यों और पोलावरम योजना पर 13054 करोड़ रु. खर्च किए लेकिन केंद्र से सिर्फ 5,349.7 करोड़ की मदद मिली. हमने समय-समय पर पोलावरम प्रोजेक्ट पर खर्च हुए पैसे का हिसाब दिया. अभी भी केंद्र से हमें 4,932 करोड़ मिलने बाकी हैं.”
उनका कहना है कि हैदराबाद को तेलंगाना की राजधानी बनाने से रेवेन्यू का काफी नुकसान हुआ है. बदले में राज्य को मदद दी जानी थी. इसके लिए विशेष दर्जे का वादा किया गया था. अब केंद्र का दावा है कि उस वक्त विशेष राज्य के दर्जे का विचार अस्तित्व में था. 14वें वित्त आयोग के तहत यह दर्जा सिर्फ पूर्वोत्तर और तीन पहाड़ी राज्यों तक सीमित हो गया.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बजट सत्र के पहले चरण में टीडीपी सांसदों का हंगामा देख अमित शाह ने नायडू को जेटली से मिलने के लिए कहा था. राज्य की तीन सदस्यीय टीम दो दिन पहले दिल्ली आई थी. जेटली ने उन्हें भी दो टूक ना कहा था. वह टीम अमित शाह से भी नहीं मिल पाई. आंध्र को विशेष दर्जा देने से अरुण जेटली के खुलेआम इनकार के बाद बीजेपी को भी नायडू के पलटवार का अंदाजा हो गया था. अमरावती में प्रेस कॉन्फ्रेंस की सूचना मिलते ही जेटली ने नायडू को फोन कर कहा कि जल्दबाजी में कोई फैसला न करें. नायडू ने कहा कि फिलहाल हम एनडीए से बाहर हैं. बीजेपी-टीडीपी गठबंधन के मुद्दे पर बाद में विचार किया जाएगा.