नशे की गिरफ्त में फंसे युवाओं को इस दलदल से निकालने के लिए शासन ने बड़ी पहल की है। नंदानगर में स्थित टीबी अस्पताल परिसर में प्रदेश का पहला नशा उन्मूलन अस्पताल खोला जाएगा। यहां शराब, चरस, हेरोइन समेत हर तरह के नशे के शिकार लोगों का नि:शुल्क इलाज होगा। मद्यनिषेध विभाग की देखरेख में 30 बेड का यह अस्पताल संचालित होगा। नशे की लत में जकड़े लोगों के लिए यह अस्पताल संजीवनी का काम करेगा। गोरखपुर और आसपास के जिलों में हजारों लोग नशाखोरी में लिप्त हैं। न जाने कितने परिवार इसकी वजह से बर्बाद हो चुके हैं। एक बार जो इसकी चपेट में आता है फिर चाहकर भी बाहर नहीं निकल पाता। नशा करने वालों में बड़ी संख्या में स्कूल और कॉलेजों की भी छात्र हैं। ऐसे लोगों को नशा से मुक्ति दिलाने के लिए प्रदेश सरकार ने गोरखपुर और मेरठ में नशा उन्मूलन अस्पताल खोलने की कवायद शुरू कर दी है।
गोरखपुर में नंदानगर के पास टीबी अस्पताल परिसर में अलग से 30 बेड का अस्पताल बनाया जाएगा। उम्मीद है अक्तूबर से नवम्बर के बीच अस्पताल का संचालन शुरू हो जाएगा। मद्य निषेध अधिकारी अरुणा जोशी ने बताया कि अभी गोरखपुर में नशे की चंगुल में फंसे लोगों के लिए अलग से कोई अस्पताल नहीं है। ऐसे में जो लोग नशा छोड़ना चाहते हैं उनके लिए यह अस्पताल किसी वरदान से कम नहीं होगा।
इस अस्पताल में नशे के शिकार लोगों को इलाज के साथ ही दवाएं भी मुफ्त में दी जाएंगी। इसके अलावा मेडिटेशन का क्लास भी चलाया जाएगा। मरीज के भर्ती रहने पर चिकित्सक नशे के आदी हो चुके लोगों की रोज की प्रगति देख सकेंगे।युवाओं को नशा से मुक्ति दिलाने के लिए टीबी अस्पताल में अलग से 30 बेड का नशा उन्मूलन अस्पताल बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसकी मॉनिटरिंग मद्य निषेध विभाग करेगा। अरुणा जोशी, जिला मद्य निषेध अधिकारी