कोरोना के खतरे को देखते हुए केंद्र सरकार ने लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने का फैसला किया है। यह लॉकडाउन दो सप्ताह के लिए और बढ़ाया गया है। अब यह लॉकडाउन 17 मई तक जारी रहेगा। गृह मंत्रालय ने ऑरेंज एवं ग्रीन जोन में कुछ ढील के साथ लॉकडाउन की अवधि बढ़ाई है। सरकार ने ग्रीन, ऑरेंज और रेड जोन के लिए अलग-अलग गाइडलाइन जारी की है। ग्रीन और ऑरेंज जोन में कुछ ढील दी गई है। लॉकडाउन में शराब और पान की दुकाने खुलने का इंतजार कर रहे लोगों के लिए अच्छी खबर है, हालांकि यह खबर सिर्फ ग्रीन जोन वाले जिलों के लिए ही है।
केंद्र सरकार ने ग्रीन जोन जिलों में शराब और पान की दुकानों को खोलने की अनुमति दे दी है। हालांकि केंद्र सरकार के इस आदेश के बाद कई जगह से इसके विरोध की आवाजें भी उठ रही हैं। कई राज्य सरकारों ने अपने राज्य में शराब की दुकानें खोलने की तैयारी कर ली थी, लेकिन अलग-अलग कारणों से उन्हें पीछे हटना पड़ा।
जानें लॉकडाउन के दौरान क्यों मिली शराब-पान की दुकान खोलने की मंजूरी –
एक रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश की, तो उसे हर साल आबकारी टैक्स से 20 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा का राजस्व मिलता है। राज्य सरकार के कर्मचारियों को सिर्फ वेतन के मद में हर साल करीब 18 हजार करोड़ रुपए दिए जाते हैं यानी सिर्फ आबकारी टैक्स से राज्य सरकार कम से कम अपने कर्मचारियों को वेतन तो दे ही सकती है। ऐसा ही कुछ आंकड़ा मध्य प्रदेश का है। इस राज्य में आबकारी टैक्स से करीब 10 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की प्राप्ति होती। मध्य प्रदेश सरकार के कर्मचारियों का वेतन भी इसी के आसपास है।
हरियाणा सरकार को भी आबकारी से 6 हजार करोड़ का राजस्व मिलता है। यानी ऐसे माहौल में जब जीएसटी, पेट्रोल और डीजल पर सरकार को मिलने वाले टैक्स करीब न के बराबर हैं तो सरकार के सामने शराब की दुकानें खोलने के अलावा कोई विकल्प शायद नहीं रहा होगा। वर्तमान समय में जहां टैक्स कलेक्शन तेजी से घटा है, वहीं सरकार का खर्च तेजी से बढ़ा है।
अर्थव्यवस्था का असर सीधे-सीधे हमारे जीवन पर पड़ेगा और अगर हम जिंदगी बचाने के लिए बाजार को लंबे समय तक बंद कर देते हैं तो इसका असर जीवन पर भी पड़ेगा। भारत जैसे देश में करोड़ों लोगों के रोजगार चले जाएंगे और उनके सामने भूखे मरने तक की नौबत आ सकती है। शायद यही वो कारण है कि कोरोना के लगातार बढ़ रहे मामलों के बावजूद भी सरकार ने बाजार को खोलने का फैसला किया है।

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