पूरी खबर एक नजर

  • यूएई में खेला जाएगा इंडियन प्रीमियर लीग
  • सरकार की अनुमती के बाद जारी होगी आगे की रणनीती
  • क्या है बायो बबल और इससे जुड़ी मुश्किलें

इंडियन प्रीमियर लीग यानी आईपीएल का आयोजन संयुक्त अरब एमिरेट्स (यूएई) में सितंबर से नवंबर के बीच होगा। कोरोना का प्रकोप अब भी जारी है ऐसे में सब के मन में यही सवाल पैदा होता है कि कैसे इतने बड़े टूर्नामेंट का आयोजन हो सकेगा जिसमें दूर दूर से जुनिया भर के खिलाड़ी आते हैं। इसका जवाब है वायो बबल। आइये जानते हैं क्या है बायो बबल?
बायो बबल का मतलब एक ऐसा माहौल बनाना है जहां खिलाड़ियों और टूर्नामेंट से जुड़े हुए लोगों का बाहरी कनेक्शन पूरी तरह से टूट जाए। वहां सब कुछ ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल (एसओपी) के नियमों के मुताबिक होगा। सभी खिलाड़ियों को इसके नियमों का बड़ी गंभीरता और सख्ती से पालन कराया जाएगा। वह टूर्नामेंट के समय बाहरी दुनिया से बिल्कुल ही कट जाएंगे। उन्हें उस जैविक सुरक्षित माहौल से बाहर जाने की अनुमती नहीं होगी।
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआई के सामने कई सारे सवाल खड़े हो गए हैं जिनका जवाब उन्हें एसओपी में देने होंगे। इनमें से सबसे पहला सवाल खिलाड़ियों के परिवार को लेकर है। एक फ्रेंचाइजी के आला अधिकारी का कहना है कि खिलाड़ियों को दो महीने के लिए उनके परिवार से दूर रखना उचित नहीं होगा। यदी खिलाड़ियों की पत्नी और बच्चे भी साथ आते हैं तो वह होटल के कमरे में रहेंगे या सामान्य तौर पर आ जा सकेंगे।
बता दें कि अधिकारी का कहना है कि हर टीम मूंबई इंडियन्स जैसी शक्तिशाली नहीं है। उनके पास निजी जेट हैं और अपने सूपर स्पेशल अस्पताल से वे डॉक्टर का प्रबंध भी कर सकते हैं लेकिन बांकी टीमों के लिए ऐसा नहीं है। ये भी एक बड़ी चुनौती है। इसके अलावा एक बड़ी चुनौती यह भी है कि टीमों को एमिरेट्स क्रिकेट बोर्ड के साथ मिलकर स्थानिय परिवहन की व्यवस्था भी करनी होगी। आम तौर पर ड्राइवर्स दिन भर काम कर के शाम को घर लौट जाते हैं लेकिन इसबार उन्हें दो महीने के लिए जैविक रूप से सुरक्षित माहौल में ही रुकना पड़ सकता है। ऐसी स्थिती में दो महीने के लिए टूर्नामेंट खेलते रहना और परीवार से दूर रहना भी खिलाड़ियों के लिए चुनौतीपूर्ण होगा।

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