Earn Money from Garbage: खराब आर्थिक हालत से जूझ रहे उत्तरी निगम को आय के लिए अब कूड़े का ही सहारा है। जो कूड़ा निगम के लिए अब तक परेशानी का सबब बन रहा था वहीं कूड़ा अब निगम के कमाई का जरिया बनने जा रहा है। निगम ने 100 फीसद कूड़े के निस्तारण के लिए इंडियन ऑयल के साथ संयंत्र की स्थापना करने के प्रस्ताव को उत्तरी निगम की स्थायी समिति ने मंजूरी दे दी है। इस प्रस्ताव के तहत निगम तीन जोन से निकलने वाले 2200 टन कूड़े को निस्तारण के लिए इस इंडियन ऑयल को देगा। इसके एवज में निगम को मुनाफे का कुछ फीसद हिस्सा भी मिलेगा। इससे निगम की लैंडफिल पर कूड़ा जाना भी बंद हो जाएगा।
कूड़े से पैसे बनाएगा निगम
दरअसल, अभी निगम में 4500 टन कूड़े का उत्सर्जन प्रतिदिन होता है। इसमें से दो हजार टन कूड़े से नरेला-बवाना लैंडफिल पर 24 मेगावॉट बिजली बनाई जाती है। बाकि 2500 टन कूड़ा अभी लैंडफिल पर जाता है। इस प्लांट की स्थापना के बाद निगम प्रतिदिन 4200 टन कूड़े का निस्तारण कर देगा। बाकि 300 टन कूड़े का उपयोग निगम खाद बनाने के लिए करेगा। इससे निगम में कूड़े की समस्या खत्म हो जाएगी। साथ ही वह दिल्ली का पहला ऐसा निगम बन जाएगा जो 100 फीसद कूड़े का निस्तारण कर देगा।
इंडियन ऑयल के साथ समझौता करेगा निगम
स्थायी समिति के अध्यक्ष छैल बिहारी गोस्वामी ने बताया कि निगम ने रानी खेडा में एक वेस्ट टू एनर्जी प्लांट की स्थापना करने का फैसला लिया है। इसके लिए स्थायी समिति ने इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आइओसीएल) के साथ समझौता करेगा।
स्थायी समिति ने दी प्रस्ताव को मंजूरी
समझौते के तहत निगम बिना किसी खर्च के रानी खेड़ा में वेस्ट टू एनर्जी (कूड़े से ईधन) बनाने के प्लांट की स्थापना की जाएगी। गोस्वामी ने बताया कि संभवतः इस कूड़े का उपयोग डीजल बनाने के लिए किया जाएगा। इस प्लांट के लिए निगम नरेला, सदर पहाड़गंज और करोल बाग जोन से प्रतिदिन निकलने वाले 2200 टन कूड़े को ईधन बनाने के लिए देगा। गोस्वामी ने बताया कि इसके एवज में ईंधन बनाने से जो आय होगी निगम की हिस्सेदारी भी उसमें होगी, जिससे निगम के राजस्व में बढोत्तरी होगी।
लैंडफिल साइट को खत्म करने में मिलेगी मदद
इस प्लांट की स्थापना के बाद निगम को भलस्वा लैंडफिल साइट को खत्म करने में मदद मिलेगी, क्योंकि अभी फिलहाल 2500 टन कू़ड़ा प्रतिदिन यहां डाला जाता है। प्लांट शुरू होने के बाद यहां पर कूड़ा आना बंद हो जाएगा। इससे लैंडफिल की ऊंचाई कम करने के लिए लगाई गई ट्रॉमल मशीनों से लैंडफिल को खत्म करने में सहायता मिलेगी। यहां फिलहाल 15 ट्रॉमल मशीनें हैं जो कूड़े को मिट्टी में परिवर्तित कर रही हैं।