• असम और अरुणाचल में भूकंप के तेज झटके
  • बाढ़ की मार झेल रहे लोगों में हड़कंप
  • भयानक बाढ़ का सामना कर रहा है असम
  • अरुणाचल प्रदेश में शुक्रवार दोपहर भूकंप के झटके महसूस किए गए
  • अरुणाचल के अलावा असम और उत्तर पूर्व के कई राज्यों में भी झटके आए
  • दोपहर 2 बजकर 51 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए
  • रिएक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.9 मापी गई है
  • अरुणाचल, असम और उत्तर पूर्व के दूसरे राज्यों से जानमाल के किसी नुकसान की जानकारी नहीं
  • बाढ़ में एक लाख हेक्टेयर से ज्यादा क्षेत्र में लगी फसलें बर्बाद हो गईं
  • ब्रह्मपुत्र सहित राज्य की 10 नदियां खतरे के निशान से ऊपर
  • नदियों में आई बाढ़ से राज्य के ढाई हजार गांव डूब गए
  • काजीरंगा नेशनल पार्क का 80 फीसदी हिस्सा जलमग्न हो गया

असम और अरुणाचल में शुक्रवार को तेज झटके महशूस किए गए। जबकि ये झटके दूसरे पूर्वोत्‍तर के दूसरे राज्‍यों में भी महसूस किए गए। रिक्‍टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता 5.9 नौ मापी गई। भूकंप का केंद्र अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी कामेंग में था। फिलहाल, भूकंप से  जानमाल के नुकसान की सूचना नहीं है।

भूकंप के झटकों से लोगों में घबराहट फैल गई। बाढ़ के चलते सुरक्षित स्थानों में ठहरे हुए लोग भूकंप के झटकों के कारण खुले मैदान की ओर भागने लगे। बता दें कि असम के लोग इस समय भयानक बाढ़ की चपेट में हैं। राज्‍य में बाढ़ के कारण 54 लाख लोग विस्थापित हुए हैं जबकि मरने वालों की संख्या 37 हो गई है। राज्‍य के 33 में से 28 जिले बाढ़ की चपेट में हैं।

असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकार के मुताबिक, 53,52,107 लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। उल्‍लेखनीय है कि इसी साल अप्रैल में 5.2 तीव्रता के भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। भूकंप का केंद्र जमीन की सतह से 50 किलोमीटर गहराई में था। इस भूकंप के बाद दहशत के कारण लोग घरों से बाहर निकल आए थे। भूकंप से जानमान का नुकसान नहीं हुआ था।

गुवाहाटी एवं अन्य हिस्सों में ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियां खतरे के निशान से पार बह रही हैं। असम में 4000 मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं। असम में सबसे ज्यादा प्रभावित जिला बारपेटा है जहां 13.48 लाख लोग इसकी चपेट में हैं। आपदा प्रबंधन ने बताया है कि 1080 कैंपों में 2.6 लाख विस्थापितों ने शरण ली है। जिला प्रशासनों ने 689 राहत कैंप स्थापित किए हैं। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें फंसे लोगों को निकालने में दिन-रात जुटी हैं।

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