आले सऊद की साज़िशों का बड़ा पर्दाफाश, अरब देश में मचा बवाल

पड़ोसी मुस्लिम देश यमन के ख़िलाफ़ आले सऊद द्वारा युद्ध छेड़ने का विरोध करते हुए देश छोड़कर चले जाने वाले मेजर अल-क़हतानी सऊदी अरब के ज़ोहरान इलाक़े में स्थित मलिक अब्दुल अज़ीज़ एयरबेस के कमांडर थे।

 

अल-क़हतानी आले सऊद शासन की साज़िशों का पर्दाफ़ाश करते हुए कहते हैं, इराक़ में शिया और सुन्नी मुसलमानों के बीच साम्प्रदायिक दंगे भड़काने में नाकाम रहने के बाद, आले सऊद शासन अब इराक़ में गृह युद्ध भड़काना चाहता है।

 

सऊदी अरब के पूर्व सैन्य अधिकारी का कहना था कि आले सऊद परिवार की समस्त नीतियां, अपना शासन बचाने के इर्दगिर्द घूमती हैं और इसके लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है। उदाहरण स्वरूप, पड़ोसी देशों में आतंकवाद का प्रसार करके उन्हें कमज़ोर करना या फ़िलिस्तीनियों के अधिकारों की अनदेखी करके इस्राईल की गोद में जाकर बैठ जाना।

 

मेजर अल-क़हतानी ने एक बड़ा रहस्योद्घाटन करते हुए कहा, आले सऊद शासन और अमरीका के बीच एक तरह का ग़ैर लिखित समझौता है और वह यह कि अमरीका सऊदी अरब में आले सऊद शासन को सरंक्षण देगा और उसकी हिफ़ाज़त करेगा, बदले में रियाज़ सरकार देश और क्षेत्र में अमरीकी हितों की रक्षा करेगी।

सऊदी वायु सेना के वरिष्ठ अधिकारी का कहना था कि सऊदी अरब क्षेत्रीय व अरब देशों में किसी तरह का राजनीतिक सुधार और सत्ता में जनता की भागीदारी नहीं देखना चाहता है, यही वजह है कि वह यमन, सीरिया, लेबनान और इराक़ में हस्तक्षेप कर रहा है, इसलिए कि अगर पड़ोसी देशों में सत्ता में जनता की भागीदारी होगी तो सऊदी जनता भी अपने अधिकारों के लिए आवाज़ उठा सकती है।

 

मेजर अल-क़हतानी का कहना था कि सऊदी अरब में ज़ाहिरी रूप से तो आले सऊद परिवार सत्ता में है, लेकिन पर्दे के पीछे समस्त फ़ैसले अमरीकी ख़ुफ़िया एजेंसी सीआईए के अधिकारी लेते हैं। इसीलिए सऊदी जनता और मुसलमानों के हितों की आले सऊद शासन को कोई परवाह नहीं है, वह केवल दुनिया भर के मुसलमानों को धोखा देने के लिए कभी कभी इस्लाम और मुस्लिम हितों की बात कर लेते हैं।

 

दुनिया के सबसे खूंख़ार आतंकवादी गुट दाइश के गठन में सऊदी अरब की भूमिका से पर्दा उठाते हुए अल-क़हतानी ने कहा, 2011 में सीरिया के दरआ इलाक़े में सरकार के विरुद्ध प्रदर्शन शुरू हुए थे, जिसका सरकार और विरोधियों के बीच आपसी बातचीत से समाधान निकल सकता था। लेकिन अमरीका ने इराक़ की जेलों में रखे गए सद्दाम के तत्वों को इकट्ठा किया और उन्हें आतंकवादी गतिविधियों के लिए प्रशिक्षण दिया, तो वहीं सऊदी अरब ने अपनी जेलों में क़ैद ख़ूंख़ार आतंकवादियों को सीरिया में लड़ने के वादे के साथ आज़ाद कर दिया। इस प्रकार दाइश जैसा आतंकवादी गुट वजूद में आया, जिसने लाखों निर्दोष बच्चों, महिलाओं और पुरुषों के ख़ून से होली खेली।

 

उन्होंने कहा, मैंने यह बातें किसी से सुनी नहीं हैं, बल्कि ख़ुद देखी हैं और मेरे परिवार एवं क़बीले के लोग सेना यहां तक कि सऊदी नरेश के महलों में विशेष गार्ड के पदों पर आसीन हैं।

 

उन्होंने कहा, आले सऊद परिवार ख़ुद को पवित्र स्थलों मक्का और मदीने का सेवक कहलाता है, लेकिन इस्लाम के तीसरे सबसे पवित्र स्थल मस्जिदुल अक़सा और बैतुल मुक़द्दस को इस्राईली प्रधान मंत्री नेतनयाहू को भेंट स्वरूप पेश कर रहा है।



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