सुप्रीम कोर्ट ने कुवैत में फंसे भारतीय कामगारों को वापस लाने की याचिका पर केन्द्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने ये नोटिस गोलकुंडा तेलंगाना की रहने वाली नोहेरा शेख की जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद जारी किये।
 
 
याचिका में कहा गया है कि करीब 3500 भारतीय कामगार कुवैत में फंसे हैं जिनके पास पैसा और संसाधन नहीं हैं उनकी स्थिति बहुत खराब है इसलिए केन्द्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वो उन लोगों को आर्थिक मदद पहुंचाए और उन्हें वापस लाने का प्रबंध करें। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील विनीत ढांडा ने कोर्ट से कहा कि कुवैत की कंपनी खराफी नेशनल के रवैये के कारण कुवैत में 3500 भारतीय कामगारों की स्थिति दयनीय है।
 
 
कंपनी ने उन्हें करीब एक वर्ष से वेतन नहीं दिया है। कर्मचारियों की स्थिति खराब है लेकिन भारत सरकार उस ओर कोई ध्यान नहीं दे रही है। याचिका में इस बारे में छपी खबरों का हवाला देते हुए कहा गया है उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, राजस्थान, आंध्र प्रदेश, और तेलंगाना के कम से कम 3000 कर्मचारी कुवैत में फंसे हैं। उनकी कंपनी खराफी नेशनल ने उन्हें उनका वेतन नहीं दिया है।

 
 
इन कर्मचारियों में इंजीनियर, ड्राइवर, सुपरवाइजर, प्लांट आपरेटर, वेयर हाउस स्टाफ, कांस्ट्रेक्शन वर्कर शामिल हैं। उनका कहना है कि उनका वीजा खत्म हो चुका है। उनके पास खाने के लिए भी पैसा नहीं है। वे अस्पताल भी नहीं जा सकते क्योंकि अब वे गैरकानूनी निवासी हो गए हैं। खबर में ये भी कहा गया है कि कंपनी ने कर्मचारियों के पासपोर्ट ले लिये हैं ऐसे में वे सब कुवैत में ही फंस गये हैं। कोर्ट ने याचिका पर संज्ञान लेते हुए सरकार को नोटिस जारी किया। कोर्ट ने याचिका में की गई सिर्फ दो प्रार्थनाओँ पर ही सरकार से जवाब मांगा है जिसमें फंसे हुए कर्मचारियों की मदद करना और उन्हें वापस लाना शामिल है।

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