38 साल के डॉ एंजेलो ग्रबिसिक द्वारा मंगलवार को सऊदी अरब में लगाई गई जंप उनकी आखिरी ख्याहिश साबित हुई। आयोजित प्रोग्राम के तहत वे अपना सबसे पसंदीदा काम यानी कूदने जा रहे थे, जहां ये उनकी अंतिम उड़ान रही। इसमें उनकी मौत हो गई। ग्रबिसिक(एस्ट्रोनॉटिकल इंजीनियरिंग) ने साउथेम्प्टन विश्वविद्यालय में एक विंगसूट डिजाइन टीम का नेतृत्व किया था। उन्हें जुलाई में ब्रिटिश विंगसूट चैंपियन का ताज भी पहनाया गया था।

एक बयान में, उनके परिवार ने उन्हें ‘असाधारण रूप से प्रतिभाशाली’ बताया। उन्होंने कहा, ‘एंजेलो ने अपना जीवन वो(विंगसूट बेस जंपिंग) करते हुए खोया, जिसे वह सबसे ज्यादा प्यार करता था। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि उसकी उपलब्धियों और महत्वाकांक्षाओं को दुनिया भर में जाना जाएगा और वह हमारे सभी के जीवन में जो खुशी छोड़ कर गया है उसका जश्न मनाया जाएगा’। उन्होंने आगे कहा, ‘एंजेलो ने हर उस एक व्यक्ति के दिलों और दिमाग में अपनी जगह बना ली थी, जो उनसे मिला और जिसने उनके साथ काम किया’।

साउथम्पटन विश्वविद्यालय ने कहा, ‘हम एंजेलो की मौत से बेहद दुखी और स्तब्ध हैं और हमारे विचार इस समय में उनके परिवार के साथ हैं’। उन्होंने बताया, ‘एंजेलो ने अंतरिक्ष के मद्देनजर विश्वविद्यालय के अनुसंधान में कई अग्रणी योगदान दिए और वे अपने छात्रों और सहयोगियों में बेहत लोकप्रिय थे।’

2015 में डॉ ग्रबिसिक ने विश्वविद्यालय में Icarus परियोजना की स्थापना की। यह कोशिश विंगसूट डिजाइन करने की थी, जिसे सुरक्षा में सुधार माना गया। पक्षियों की तरह उड़ते वक्त सेफ्टी से संबंधित कोई दिक्कत नहीं हो, इसलिए विंगसूट डिजाइन किया गया, इसमें सुधार किया गया।

उन्होंने पहले नासा(NASA) और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी(European Space Agency) दोनों के लिए अंतरिक्ष यान के प्रणोदन(Spacecraft Propulsion) पर काम किया था, और वे 2018 में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के BepiColombo मिशन के लिए एक सलाहकार इंजीनियर थे। एक बयान में, विदेश कार्यालय ने कहा, ‘हमारे कांसुलर कर्मचारी सऊदी अरब में हुई मृत्यु के बाद ब्रिटिश व्यक्ति के परिवार के साथ खड़ी है, और स्थानीय अधिकारियों के संपर्क में हैं’।

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