सऊदी अरब में अबतक ज्यादातर सिर्फ भारतीय, पाकिस्तानी या बांग्लादेशी या साउथ एश‍िया के लोग ही नीचे लेवल के जॉब करते देखे जाते थे, लेकिन वहां की सरकार की बदली पॉलिसी की वजह से स्थानीय लोगों को भी ऐसे काम कर पैसे कमाने पर मजबूर होना पड़ा है.मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सऊदी अरब के ज्यादातर स्थानीय लोग काफी सैलरी वाले वाइट कॉलर जॉब ही करते दिखाई देते थे. हालांकि अब उन्हें लो स्कि‍ल जॉब भी करने पर मजबूर होना पड़ा है. इस कच्चे तेल के सबसे बड़े उत्पादक देश में 2017 के बाद से 8 लाख से ज्यादा विदेशी मजदूरों को बाहर का रास्ता द‍िखा दिया गया है. ऐसे में अब सऊदी अरब के लोग उबर ड्राइवर, चाय बेचते और फास्ट फूड चेन में काम करते दिखाई दे रहे हैं. डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार जल्द ही वे सड़कों पर झाडू लगाते भी दिखे. सऊदी अरब के लोगों के लिए यह कठोर समय वहां लगातार बढ़ रहे गैस के दाम और गिरती इकनॉमी की वजह से आया है.

एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार पहले लोग इस टैक्स फ्री देश में सरकार के वेलफेयर स्कीम की बदौलत हाई लाइफ स्टाइल जीते आए थे. हालांकि अब गैस पानी से सस्ती नहीं रही. एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार बदर अल अजमी ने बताया कि 2 साल पहले जब उन्होंने फूड ट्रक खोला था तो वहां के लोगों ने उनका मजाक बनाया था, लेकिन वे ही लोग अब नौकरी मांगने आते हैं.

अब तक वहां के स्थानीय लोग लग्जरी लाइफ ज‍ीते आए थे. हालांकि पिछले कुछ सालों में सरकार ने तेल की वजह से होने वाली सब्स‍िडी को कम कर दिया और बढ़ी बेरोजगारी की वजह से स्थानीय लोगों को यह दिन देखने को मिल रहे हैं. ऐसे में अध‍िक आमदनी के लिए वहां के लोग ज्यादा मैनुअल वर्क करने के लिए तैयार हो रहे हैं. इससे पहले कम लेवल वाले ब्लू लेवल जॉब अफ्रीका और साउथ ईस्ट एश‍िया के लोगों के लिए था. वहीं सऊदी अरब का प्रशासन नए जॉब के अवसर खोलने का दावा कर रहा है, लेकिन बड़ा सवाल यही है कि क्या और ज्यादा सऊदी के लोग इस तरह के जॉब करने को तैयार होंगे या नहीं?

आपको बता दें कि यह हालात आने से पहले सऊदी अरब के लोग इस तरह के काम को काफी गिरी हुई नजरों से देखते थे. दो तिहाई से ज्यादा स्थानीय लोग सरकारी नौकरी करते हैं. रिपोर्ट के अनुसार लेक्सस जैसी महंगी गाड़ी रखने वाले स्थानीय लोग आज उबर के ड्राइवर बने हुए हैं. इसके पीछे ‘Saudization’ सऊदीजेशन यानी स्थानीय लोगों को ही ज्यादा अवसर देने की पॉलिसी का हाथ बताया जा रहा है, जिसकी वजह से लाखों लोग इस देश को छोड़कर जाने को मजबूर हुए हैं.
साभार: aajtak


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