रोक के बावजूद इन जिलों में हुई आतिशबाजी

दीवाली से पहले बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने बिहार के चार जिलों पटना, गया, मुजफ्फरपुर और गया में पटाखों की बिक्री पर रोक लगा दिया था। बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने सभी डीएम व एससपी को पत्र लिखकर निर्देश जारी किया है जिसमें कहा गया है कि पिछली दीपावली के समय इन शहरों के परिवेशीय वायु सूचकांक का अध्यन किया गया था और खतरे के ऊपर थी। लेकिन, इस बार रोक के बावजूद लोगों ने इन शहरों में पटाखों से वायु प्रदूषित कर ही दी। इसका असर अगली सुबह तक देखने को मिला।

6 साल में पहली बार इतनी ज्यादा दुसित हुई हवा

राजधानी पटना का भी यही आलम था। सुप्रीम कोर्ट, एनजीटी, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और जिला प्रशासन की तमाम कोशिशों के बाबजूद शहर पटाखों के धुएं से भर गया। पिछले छः सालों की तुलना करें तो पटना में सबसे ज्यादा पटाखे इसी साल फूटे। दीवाली के मौके पर इस बार साल 2015 के बाद सबसे अधिक पटाखे फूटे हैं। साल 2015 में शहर की हवा में मोटे धूलकण की मात्रा 1688 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर पायी थी। वहीं, इस साल पटना की हवा में 1134 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर धूलकण मिले। विशेषज्ञों की माने तो महीन धूलकण मानव स्वास्थ्य के लिए सबसे अधिक नुकसानदायक हैं।

तेज़ आवाज वाले पटाखे भी फूटे

बात करें तेज़ ध्वनि वाले पटाखो की तो दीपावली में सबसे अधिक तेज ध्वनि वाले पटाखे बोरिंग रोड और कंकड़बाग में फोड़े गए। रात आठ बजे से लेकर देर रात डेढ़ बजे तक जमकर आतिशबाजी हुई। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने शहर के पांच प्रमुख क्षेत्रों में ध्वनि प्रदूषण का आकलन भी किया है।इस बार पटना के लोगों ने आतिशबाजी में कोई कमी नहीं छोड़ी है।

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