बिहार में स्कूल खोलने का निर्देश जारी कर दिया गया है।  स्कूलों में 50% की उपस्थिति के साथ कक्षाओं का संचालन किया जाएगा।  7 अगस्त 9वीं और 10 वीं  और  पहली से आठवीं तक की कक्षा 16 अगस्त संचालित की जाएगी। इस संबंध में बिहार सरकार ने नई गाइडलाइंस जारी  की है। जिनका पालन करना अनिवार्य होगा।
इस गाइडलाइन के अनुसार पढ़ाने वाले शिक्षकों को कोरोना का टीका लगाना होगा। तभी वो बच्चों को पढ़ा सकेंगे। शिक्षा मंत्री ने भी शिक्षकों को पहले भी 16 अगस्त से पहले कोरोना का टिका लगवा लेने का निर्देश दिया था।
शिक्षण संस्थानों में वहीं शिक्षक विद्यार्थियों को पढ़ा सकेंगे जिन्होंने कोरोना की दोनों डोज ले ली है। जिन शिक्षकों ने कोरोना वायरस का टिका नहीं लिया है उन्हें पढ़ाने का मौका नहीं दिया जाएगा।  कॉलेज, स्कूल सहित निजी शिक्षण संस्थानों के मुखिया यह सुनिश्चित करेंगे कि उनके यहां कार्यरत शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मचारियों ने कोरोनावायरस का टीका लिया है कि नहीं।
शिक्षण संस्थानों के संचालन के संबंध में अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने संबंधित अधिकारियों को गाइडलाइन पालन करने का निर्देश दिया गुरुवार को जारी आदेश में  परीक्षाओं का आयोजन योजनाबद्ध तरीके से करने को कहा गया है। इसके साथ ही विभाग का यह भी कहना है कि शिक्षण व्यवस्था के लिए ऑनलाइन माध्यम को प्राथमिकता दी जाएगी।
विभाग की तरफ से शिक्षण संस्थानों के छात्र छात्राओं को 50% उपस्थिति के साथ कक्षाओं का संचालन होगा। छात्र एक 1 दिन गैप करके संस्थान आएंगे। जो छात्र आज स्कूल गए हैं वह कल नहीं जाएंगे, बल्कि उसके अगले दिन पहुंचेंगे। बताया गया है कि स्कूल कॉलेज और कोचिंग संस्थान के परिसर में कक्षा, फर्नीचर, उपकरण, भंडारकक्ष, पानी टंकी, किचेन, प्रयोगशाला, लाइब्रेरी आदि की सफाई संस्थानों के खोलने के पहल की जाएगी।
शिक्षण संस्थानों में शौचालयों की सफाई और सैनिटाइजेशन का काम प्रमुख रूप से किया जाएगा। इस बात का हमेशा ध्यान रखा जाएगा कि शिक्षण संस्थानों का शौचालय साफ सुथरा रहे और वहां लगातार सैनिटाइजेशन का काम होता रहे। शिक्षण संस्थानों में सभी के लिए हाथों की सफाई के लिए भी अनिवार्य व्यवस्था की जाएगी।
इसके लिए डिजिटल थर्मामीटर, सैनेटाइजर, साबुन सहित अन्य जरुरी चीजों की व्यवस्था भी की जाएगी। एक टास्क टीम  गठन किया जायेगा जिनका काम शिक्षण संस्थानों में साफ-सफाई और सैनेटाइजेशन की जांच करना होगा। कक्षाओं में विद्यार्थी एक दूसरे से छह फिट की दुरी पर बैठेंगे। विद्यार्थियों के शारीरिक एवं मानसिक स्थिति  को जांचने के लिए शिक्षण स्थल के समीप स्वास्थ्य परीक्षक, नर्स, चिकित्सक और काउंसिलर की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।
 

 

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