बिहार की हवा इस कदर ज़हरीली हो चुकी है कि यह अब आम लोगों के लिए खतरे की घंटी बजा रहा है। मालूम हो कि हवा में धूल कणों की मौजूदगी खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है। आंकड़ों पर निगाह डालें तो यह स्थिति स्वास्थ्य पर बहुत बुरा असर डालने वाली और अति चिंताजनक है। कई इलाकों में हरियाली होने के बावजूद पटना की हवा में प्रदूषण का स्तर बहुत खराब है। पटना में आज वायु गुणवत्ता सूचकांक 318 है। वहीं गया में वायु गुणवत्ता सूचकांक 291 है, भागलपुर में वायु गुणवत्ता सूचकांक 164 और मुजफ्फरपुर में एक्यूआई 290 है।

मानक से पांच गुना अधिक प्रदूषण

राजधानी पटना के अलावा मुजफ्फरपुर, गया, हाजीपुर, छपरा एवं बिहारशरीफ में प्रदूषण खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है और मंगलवार को बिहारशरीफ राज्य का सर्वाधिक प्रदूषित शहर रहा। बिहारशरीफ में एयर क्वालिटी इंडेक्स 418 रिकार्ड किया गया। बता दें कि इसी तरह प्रदेश के कई शहरों के वातावरण में मानक से चार से पांच गुना अधिक प्रदूषण है। वहीं, विशेषज्ञ इसका मुख्य कारण प्रदेश की भौगोलिक बनावट एवं मौसम को मान रहे हैं।

प्रदेश के वातावरण में बना गैस चैंबर, किया जा रहा पानी का छिड़काव

विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदेश के आसमान में एक से डेढ़ किलोमीटर के ऊपर एक लेयर बन गया है। ऐसे में धरातल पर होने वाली मानवीय क्रियाओं से पैदा होने वाला प्रदूषण एवं धूलकण मानव स्वास्थ्य पर भारी पड़ रहा है। अब इसी को देखते हुए अब इन धुलकणों को मारने के लिए पानी का छिड़काव शुरु हो चुका है। कल तक जहां वीवीआइपी इलाके में पानी की बौछारें दी जा रही थी है वहीं अब आम के पास यह सेवा शुरू कर दी गई है।

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