कोविड-19 के डेल्टा वेरिएंट की सुगबुगाहट के बीच बिहार के लोगों के लिए राहत भरी खबर है। बताया जा रहा है कि पटना एम्स में अब तक 62 हजार से अधिक कोरोना संक्रमित मरीजों के नमूनों की जिनोम सीक्वेंसिंग कराई गई है। राहत की बात यह है कि 60 दिनों के दौरान किसी भी मरीज में डेल्टा प्लस वेरिएंट की पुष्टि नहीं हो सकी हैं।
कोरोना की दूसरी लहर में डेल्टा वेरिएंट का काफी प्रकोप देखा गया था। जबकि कुछ देशों और राज्यों में अब डेल्टा प्लस आने की खबरें लगातार मीडिया में प्रकाशित और प्रसारित हो रही। आंकड़ों की माने तो बिहार में कोरोना वायरस के चपेट में आने वाले की संख्या 12 लाख से अधिक पहुंच गई है।
बिहार की राजधानी पटना में 1 लाख 70 हजार से अधिक संख्या में लोग संक्रमित हुए। बिहार में सबसे ज्यादा संक्रमित लोगों की संख्या पटना में ही पाई गई है। इनमें से 2000 लोगों की मृत्यु हो गई है।
दूसरे देशों और राज्यों में कोरोना के डेल्टा प्लस वैरियंट के पुष्टि की खबरों के बाद बिहार में भी डेल्टा प्लस वन वैरीअंट को पता लगाने की कवायद तेज कर दी गई है। दूसरे देशों और राज्यों से बिहार आने वाले लोगों की जांच की जा रही है।
इनमें से संक्रमित पाए जाने वाले लोगों की जांच कराई जा रही है। खासकर वे लोग जो कि भारत के कोरोना प्रभावित राज्यों से बिहार आ रहे हैं उनपर विशेष नजर रखी जा रही है।
सिविल सर्जन विभा कुमारी की माने तो केरल सहित दूसरे कोरोना प्रभावित राज्यों से आने वाले लोगों की आवश्यक रूप से जांच कराई जा रही है। खास करके उन राज्यों से आने वाले लोगों के लिए जांच अनिवार्य कर दी गई है जहां पर कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं।

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