दिल्ली में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें कोरोना संक्रमित व्यक्ति ठीक होने के बाद फिर से कोरोना संक्रमित पाया गया। अपोलो अस्पताल के डॉक्टर राजेश चावला ने बताया कि, दिल्ली में एक इंस्पेक्टर को दो महीनों के बाद फिर से कोरोना संक्रमण होने से डॉक्टर काफी हैरान है। पहली बार जब इनका 13 मई आरटीपीसीआर टेस्ट हुआ था तब इनमें एसिम्टोमैटिक लक्षण थे और वह कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे। एक हफ्ते तक अस्पताल में इलाज चलने के बाद टेस्ट करवाने पर इनकी रिपोर्ट निगेटिव आई। रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद वह घर चले गए। दो महीने बाद यानि 10 जुलाई को इंस्पेक्टर को फिर से खांसी और बुखार हुआ तो उन्होंने दोबारा एंटीजन और आरटी पीसीआर टेस्ट करवाया तो उनका रिपोर्ट पॉजिटिव आया। इसके बाद वह होम क्वारेंटाइन हो गए। बाद में इन्हें चेस्ट पेन हुआ तब इन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया और अब वह ठीक हैं।
बता दें कि दिल्ली में इस तरह का यह दूसरा मामला सामने आया है। इससे पहले हिंदू राव अस्पताल की एक नर्स को भी कोरोना संक्रमण हो कर ठीक होने के बाद दोबारा कोरोना संक्रमण हो गया। डॉक्टरों के बयान के बाद इस पर बहुत से सवाल पैदा होते हैं। क्या पहली बार कोरोना संक्रमित हुए व्यक्ति के शरीर में ऐंटीबॉडी नहीं बना? क्या पहला आटी पीसीआर टेस्ट फाल्स पॉजिटिव था?
हालांकि सीएसआईआर यानि वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हैं और न ही बात को खारिज कर रहे हैं। इनका कहना है कि इस मामले पर एक गहन अनुसंधान की जरुरत है। सीएसआईआर के महा निदेसक शेखर मांडे का इस विषय पर कहना है कि दोबारा अभी तक ऐसे किसी भी रिपोर्ट में नहीं देखा गया कि कोरोना दोबारा से कोरोना संक्रमण से ठीक हुए व्यक्ति को हो जाए। ऐसा किसी भी जर्नल में नहीं आया है। साथ ही उनका कहना है कि अगर कोरोना संक्रमण किसी को हुआ हो तो उसमें ऐंटीबॉडी बनने के बहुत चांसेज होते हैं। कोरोना वयरस के हर इलाज और रिसर्च पर से जुड़े हर डॉक्टर इस बारे में रिसर्च करने की बात कर रहा है।

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