गुजरात में सरकारी अधिकारी दंपत्ति ने मिसाल पेश की है. गुजरात के आणंद जिले में जिला विकास अधिकारी(डीडीओ) अमित प्रकाश यादव और उनकी जज पत्नी चित्रा ने एक नवजात बच्ची को गोद लिया है. नाम रखा है माही. 3 अगस्त को अमित उस अस्पताल के दौरे पर थे जब उन्हें नवजात माही मिली. माही की मां ने डिलिवरी के दौरान दम तोड़ दिया था. माही के परिवार में पहले से दो बेटियां थीं. पत्नी की मौ’त से दुखी बच्ची के पिता को चिंता सताने लगी कि तीसरी बेटी का पालन-पोषण कैसे होगा. और फिर सामने आते हैं अमित और चित्रा.
 
 
अमित जिला विकास अधिकारी हैं. अगर उनके क्षेत्र में डिलिवरी के वक्त किसी महिला की मौत हो जाए, या कोई अप्रिय घटना हो तो अमित को मौके पर पहुंचना होता है. माही की मां की डिलिवरी जब हुई तो उन्हें बचाया नहीं जा सका. महिला की तबीयत बिगड़ने लगी तो उन्हें वडोदरा शिफ्ट किया जा रहा था. लेकिन रास्ते में ही मौ’त हो गई। जब अमित के पास मेडिकल सुपरिंटेंडेंट का फोन आया तो उन्हें पूरी घटना पता चली. अमित से रहा नहीं गया. वो अस्पताल पहुंच गए. नवजात बच्ची को देखकर उनका दिल पसीज गया. अमित ने अपनी पत्नी चित्रा से बात की. उन्हें पूरी घटना बताई. दोनों ने बच्ची को गोद लेना का फैसला किया. इनफैक्ट जल्दी से गोद लेने की प्रक्रिया शुरू भी कर दी।

लेकिन इससे पहले भी दिल को छू लेने वाली एक घटना हुई थी. जब चित्रा अस्पताल पहुंची तो बच्ची भूखी थी. डॉक्टरों ने कहा कि नवजात की मां को बचाया नहीं जा सका है. इसलिए बच्ची को मां का दूध भी नसीब नहीं हुआ. अमित के मुताबिक, ‘मुझे बताया गया कि बच्ची ने पिछले 14 घंटे से खाना नहीं खाया है. मैंने अपनी पत्नी को यह बात बताई तो वह तुरंत स्तनपान कराने के लिए तैयार हो गईं। अमित और चित्रा ने बच्ची के पिता और परिवार से माही को गोद लेने की सहमति ली।
 
अमित और चित्रा का डेढ़ साल का एक बेटा भी है. दोनों ने कहा कि अब हमारा परिवार पूरा हो गया है. बच्ची की हालत में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। गुजरात से आई ये ऐसी खबर है जो यह भी साबित करती है कि अंधेरा चाहे जितना घना हो लेकिन कहीं किसी कोने में कोई न कोई चिराग जलता ही होगा. यह खबर मदरहुड की है. ममता की है. एक औरत के औरत होने की है. यह खबर उस फैसले की भी है जब हर दिन दर्जनों फैसले देने वाली एक औरत, औरत होकर एक फैसला लेती है. मां होकर फैसले लेती है।

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