फिक पुलिस और आरटीओ विभाग की मनमानी के चलते वैध ड्राइविंग लाइसेंस को भी ‘कोरा कागज करार दिया जा रहा है। कागज वाला डीएल रखने वाले दर्जनों लोगों का ट्रैफिक पुलिस द्वारा चालान किया जा रहा है। ट्रैफिक पुलिस के जिम्मेदार दलील दे रहे हैं कि एम-परिवहन एप पर जिन डीएल का ब्योरा नहीं दिखेगा उसे कैसे वैध माना जाए। नतीजतन, आरटीओ विभाग द्वारा जारी 30 हजार से अधिक ड्राइविंल लाइसेंस ‘कोरा कागज साबित हो रहे हैं।
 
गोला बाजार के जितेन्द्र प्रसाद पत्नी का इलाज कराने गोरखपुर आये थे। बीते 13 अगस्त को काली मंदिर के पास ट्रैफिक पुलिस ने डीएल दिखाने के बाद भी बिना डीएल में चालान कर दिया। जितेन्द्र डीएल लेकर आरटीओ कार्यालय पहुंचे तो उसे वैध बताते हुए स्मार्ट कार्ड वाला डीएल बनाने की सलाह दी गई। सुनवाई होता नहीं देख जितेन्द्र को 2500 रुपये का जुर्माना भरना पड़ा। वहीं जटेपुर निवासी दिनेश त्रिपाठी गोलघर की एक कोचिंग में पढ़ाते हैं। उन्होंने 2006 में डीएल बनवाया था। आरटीओ ने कागज वाला डीएल जारी किया था।

पिछले शुक्रवार को चेकिंग के दौरान ट्रैफिक पुलिस ने बगैर डीएल में शिक्षक का चलान कर दिया। सोमवार को आरटीओ पहुंच कर शिक्षक ने स्मार्ट कार्ड वाले डीएल के लिए आवेदन किया है। 400 रुपये स्मार्ट कार्ड वाले डीएल पर खर्च हुए तो वहीं 2500 रुपये जुर्माना भरना पड़ा। जितेन्द्र और दिनेश सरीखे तमाम पीड़ित डीएल होने के बाद भी जुर्माना भर रहे हैं, और ट्रैफिक पुलिस से लेकर आरटीओ दफ्तर का चक्कर लगा रहे हैं।
 
एम-परिवहन एप पर कागज वाले डीएल का सत्यापन नहीं:ट्रैफिक पुलिस स्मार्ट फोन पर एम-परिवहन के एप पर गाड़ी का ब्योरा जांच कर चालान कर रही है। कागज वाले डीएल पर 4 अंकों का डीएल नंबर है तो वहीं स्मार्ट कार्ड वाले डीएल पर यूपी53 के साथ ही 11 अंकों को दर्ज करना पड़ रहा है। एम-परिवहन एप पर कागज वाले डीएल का सत्यापन नहीं हो पा रहा है। कागज वाले डीएल का सत्यापन एम-परिवहन पर नहीं हो पा रहा है। कागज वाले डीएल पर जुर्माना नहीं किया जा रहा है।

अलबत्ता स्मार्ट कार्ड वाला डीएल बनवाने की नसीहत दी जा रही है। कागज वाले डीएल पर जिसका चालान हुआ है, वह संपर्क कर सकता है। – आदित्य वर्मा, एसपी ट्रैफिक स्मार्ट कार्ड वाला डीएल पिछले आठ वर्षों से बन रहा है। जिनका कागज वाला डीएल है, उनसे स्मार्ट कार्ड में वाला डीएल बनवाने की अपील की जा रही है। रोज 15 से 25 लोग कार्ड वाला डीएल बनवाने पहुंच रहे हैं। कागज वाले डीएल का संदेह होने पर सत्यापन कराना होगा। फर्जी होने पर ही चालान हो सकता है। – श्याम लाल, एआरटीओ

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