अमूमन हम खाने पीने की सामानों की एक्सपायरी के बारे में बहुत गौर फरमाते हैं। दवाओं को लेकर सबसे ज्‍यादा ध्‍यान रखते हैं। एक्सपायरी की डेट नजदीक आते ही खराब होने वाले सामानों को तुरंत घर से बाहर फेंक देते हैं, लेकिन शायद ही लोग घर के रसोई में इस्तेमाल किए जाने वाले गैस सिलेंडर की एक्‍सपायरी पा लोग ध्‍यान देते हैं। कुछ लोगों को तो मालूम भी नहीं कि गैस सिलेंडर की भी एक्‍सपायरी डेट होती है।
 
हर गैस सिलेंडर पर उसकी एक्सपायरी लिखी होती है। लेकिन इनके बारे में आज के समय भी बहुत कम ही लोगों खास कर महिलाओं को इसकी पूरी जानकारी होती है। बिना जांच के घर में उपयोग किए जाने वाले गैस सिलेंडर का उपयोग जोखिम भरा हो सकता है। ऐसे में यह जरूरी है कि सभी लोग गैस सिल‍ेंडर की भी एक्‍सपायरी डेट की जांच अवश्‍य करें।
 
गैस सिलेंडर बनाते समय प्लांट में इसकी एक्सपायरी डेट लिखी जाती है, लेकिन वह डेट आम चीजों पर अंकित तिथियों के अनुसार नहीं होती है। इनकी एक्सपायरी एक कोड के तौर पर लिखी जाती है। इस वजह से उपभोक्ताओं का ध्यान इन पर नहीं जाता है। इन कोर्ड के बारे में गैस एजेंसी मालिक या फिर गैस कंपनी के अधिकारियों को होता है।
 
कोड वर्ड में लिखे जाते हैं एक्सपायर डेट
गैस सिलेंडर पर एक्सपायरी डेट एक खास कोड वर्ड में लिखा जाता है। ये कोर्ड वर्ड एल्फाबेट्स मोड में रहते हैं। गैस सिलेंडर के ऊपरी भाग में ये कोड ए, बी, सी, डी के रूप में लिखी होती है। हर कोड साल के तीन महीने को दर्शाते हैं। इस कारण कई बार डेट निकलने के बावजूद ऐसे गैस सिलेंडर उपभोक्ताओं तक पहुंच जाते हैं। इतना ही नहीं कई बार गैस सिलेंडर फटने की घटनाओं के पीछे इसे ही मुख्य कारण माना जाता है।
 
कोड वर्ड
ए- जनवरी से मार्च
बी- अप्रैल से जून
सी- जुलाई से सितंबर
डी- अक्तूबर से दिसंबर
ए-15 यानी सिलेंडर मार्च 2015 तक ही मान्य, डी-20 यानी सिलेंडर दिसंबर 2020 तक वैध।

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