पटना: बिहार और की राजनीति में नीतीश कुमार का नाम काफी बड़ा है, इस बात से नकारा नहीं जा सकता है. जबकि नीतीश ने अपने फैसलों के वजह से बिहार के दो दलित नेताओं को बड़ा बनने का मौका दिया. उन्होंने इन दोनों नेताओं को राजनीतिक शिखर पर पहुंचा दिया, लेकिन अब यही नेता नीतीश के खिलाफ हो गए हैं. दोनों ने नीतीश के खिलाफ ही जबरदस्त मोर्चा खोल रखा है. बिहार के ये दोनों दलित नेता पूर्व सीएम जीतन राम मांझी और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी हैं. जिन्होंने अब महागठबंधन का दामन थाम लिया है.

2014 लोकसभा चुनाव में जब नीतीश कुमार की पार्टी को मात्र दो सीट मिला था, तब नीतीश ने इस्तीफा देकर जीतन राम मांझी को सीएम की कुर्सी पर बैठाया था. उस समय उनके नाम की चर्चा तक नहीं थी. सीएम बनने से पहले मांझी को कई लोग जानते भी नहीं थे लेकिन नीतीश कुमार ने सीएम बनाया उसके बाद मांझी दलित के बड़े नेता बने. बाद में जब सीएम से हटाया गया तब मांझी नाराज होकर हम पार्टी बना ली.

यही हाल उदय नारायण चौधरी का भी है 2005 में जब नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बनी तब नीतीश ने विधानसभा अध्यक्ष पद की कुर्सी पर उदय नारायण चौधरी को बैठाया था. फिर 2010 में एनडीए की बहुमत के साथ सरकार बनी तब भी नीतीश कुमार ने उदय नारायण चौधरी को ही विधानसभा अध्यक्ष बनाया. उदय नारायण चौधरी बिहार की राजनीति में कोई बड़ा चेहरा नहीं थे लेकिन दो बार विधानसभा अध्यक्ष बनाकर नीतीश ने चौधरी को बिहार की राजनीति में विशेष पहचान दिलाई. दोनों दलित नेता को राजनीतिक शिखर पर पहुंचाने वाले नीतीश कुमार आज उन दोनों के सबसे बड़े राजनीतिक दुश्मन हैं

गया जिले से आने वाले दोनों दलित नेता शुरू से एक दूसरे के धुर विरोधी भी रहे हैं. मांझी ने पिछले दिनों उदय नारायण चौधरी पर जान से मरवाने की साजिश का भी आरोप लगाया था. मांझी 2015 के विधानसभा चुनाव में उदय नारायण चौधरी को हरा कर विधानसभा पहुंचे थे. सच्चाई है कि कुछ दिन पहले तक दोनों एक दूसरे को देखना तक नहीं चाहते थे ऐसे में यह दिलचस्प है महागठबंधन में दोनों कैसे एक साथ अपना हित साध पाएंगे.
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नीतीश जब एनडीए में फिर लौटे तब मांझी फिर से उनकी तारीफ करने लगे थे लेकिन विधानपरिषद चुनाव से ठीक पहले अपने बेटे को टिकट दिलाने के लिए मांझी महागठबंधन में शामिल हो गए. बेटा विधान परिषद के लिए निर्वाचित भी हो चुका है. और मांझी एक बार फिर से नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके हैं. वहीं उदय नारायण चौधरी गया से चुनाव लडना चाहते हैं, जहां से मांझी अभी विधायक हैं. चौधरी पार्टी में भी बड़ी जिम्मेवारी चाहते थे लेकिन नीतीश ने ध्यान ही नहीं दिया. पिछले काफी समय से उदय नारायण चौधरी बागी की भूमिका में नजर आ रहे थे. पिछले कई महीनों से वो लालू के पक्ष में अपना बयान दे रहे हैं, जबकि नीतीश और बीजेपी के खिलाफ उनके तेवर दिन प्रतिदिन कड़े हो गये थे. अंत में उन्होंने बुधवार को जदयू का दामन छोड़कर महागठबंधन में जाने का ऐलान कर दिया. हालांकि जदयू ने भी यह साफ साफ किया है उनके जाने से पार्टी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

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