बिहार के सरकारी स्कूलों में अध्यापन कार्यों में लगे अप्रशिक्षित शिक्षकों के प्रशिक्षण मानकों में सरकार ने बदलाव कर दिए हैं। पूर्व में सिर्फ टीईटी परीक्षा में प्राप्त अंकों के आधार पर अप्रशिक्षित शिक्षकों को जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, प्राथमिक शिक्षक शिक्षा महाविद्यालयों में दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स में प्रवेश मिल जाता था, परन्तु अब ऐसा नहीं होगा। शिक्षा विभाग ने नियमों में किए गए बदलाव के संबंध में आदेश जारी कर दिया है।

आदेश में स्पष्ट किया गया है कि शैक्षणिक सत्र 2018-20 में प्रशिक्षण के लिए नामांकन के लिए सामान्य अभ्यर्थियों की न्यूनतम शैक्षणिक अर्हता इंटर या प्लस टू होगी, वह भी कम से कम पचास फीसद अंकों के साथ। इसमें अनुसूचित जाति, जनजाति और निश्शक्त व्यक्तियों को पांच प्रतिशत छूट दी जाएगी।

एनसीटीई द्वारा आवंटित कुल सीट में से तीन प्रतिशत सीटें निश्शक्त अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित रहेंगी। जबकि उर्दू विषय के अभ्यर्थियों के लिए अधिकतम 10 प्रतिशत सीटें क्षैतिज रूप से आरक्षित रहेंगी। आवंटित सीट का पचास प्रतिशत विज्ञान तथा पचास प्रतिशत कला एवं वाणिज्य अभ्यर्थियों के लिए आरक्षित रहेगा।

जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, प्राथमिक शिक्षक शिक्षा महाविद्यालयों में दो वर्षीय डिप्लोमा कोर्स में चयन का आधार 10वीं और 12वीं के प्राप्तांकों का प्रतिशत होगा। 10वीं और 12वीं में प्राप्तांकों के प्रतिशत का औसत निकालते हुए नामांकन के लिए मेधा सूची तैयार की जाएगी। यदि किसी अभ्यर्थी के प्राप्तांक के औसत समान रहते हैं तो ऐसी स्थिति में अधिक उम्र वाले शिक्षक अभ्यर्थी को प्राथमिकता दी जाएगी।
इनपुट:JMB

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