गोरखपुर में वेटनरी मेडिकल कॉलेज के प्रस्ताव पर शासन ने मुहर लगा दी है। इसके लिए चरगांवा में 30 एकड़ जमीन भी चिन्हित कर ली गई है। वेटनरी मेडिकल कॉलेज को लेकर 25 जुलाई को शासन में कार्ययोजना तय होगी। इसमें गोरखपुर से प्रशासन की टीम भी शामिल होगी। वेटनरी मेडिकल कॉलेज को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री स्व.वीर बहादुर सिंह के कार्यकाल में भी कवायद शुरू हुई थी। तब खजनी में वेटनरी मेडिकल कॉलेज खोले जाने की कोशिशें हुई थीं। जमीन नहीं मिलने और सरकार बदलने के बाद पूरी योजना ठंडे बस्ते में चली गई थी।

मुख्यमंत्री की मंशा को देखते हुए बीते दिनों पशुपालन विभाग ने गोरखपुर में वेटनरी मेडिकल कॉलेज का प्रस्ताव दिया था जिसे जिला प्रशासन ने शासन के पास मंजूरी के लिए भेजा था। उसी क्रम में सोमवार को शासन ने प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है। हॉस्टल के साथ ही हॉस्पिटल भी यहां प्रवेश लेने वाले छात्रों के छात्रावास से लेकर पशुओं के लिए हॉस्टिपल भी बनेगा। यहां पशुपालक अपने पशुओं का बेहतर से बेहतर इलाज करा सकेंगे। साथ ही पशुपालकों को रोगों से बचाव के उपाय भी बताए जाएंगे।

वेटनरी मेडिकल कॉलेज में हो सकेंगे शोध इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीच्यूट बरेली की तर्ज पर यहां भी विभिन्न बीमारियों को लेकर शोध कार्य हो सकेंगे। मनुष्य से पशुओं और पशुओं में मनुष्यों में होने वाली बीमारियों को लेकर भी यहां शोध हो सकेंगे। पशु चिकित्सकों का कहना है कि जापानी इंसेफेलाइटिस से लेकर रैबीज को लेकर भी शोध कार्यों की संभावना बनेगी। वर्तमान में प्रदेश में तीन वेटनरी मेडिकल कालेज वाराणसी, फैजाबाद और मथुरा में हैं। वेटनरी मेडिकल कॉलेज को शासन ने अपनी मंजूरी दे दी है। चरगांवा में 30 एकड़ जमीन पर कॉलेज का निर्माण होगा।
के. विजयेन्द्र पाण्डियन, डीएम

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