भागलपुर शहर में प्रतिदिन 50 लाख लीटर सप्लाई वाटर बर्बाद हो रहा है। इसकी मुख्य वजह ज्यादातर नल और प्याऊ में टोंटी नहीं होना और अंग्रेजों के जमाने की पाइप का जगह-जगह लीक होना है। निगम व पैन इंडिया की उदासीनता तथा लोगों में जागरूकता की कमी की वजह से पीने योग्य पानी नाले में बह रहा है। यह व्यवस्था की बड़ी खामी है। तत्काल स्थिति नहीं सुधरी तो हमलोग बूंद-बूंद जल को तरस जाएंगे।

शहर को 60 एमएलडी पानी की दरकार
शहर में प्रतिदिन 60 एमएलडी से अधिक पानी की दरकार होती है। 2040 तक पेयजल की जरूरत 110 एमएलडी तक पहुंच जाएगी। बावजूद इसके लोग पानी को बर्बाद कर रहे हैं।

झगड़े से रुक गया विकास का पहिया
दरअसल शहर में 1020 जनता नल हैं। अधिकतर नल से बूंद-बूंद पानी रिसने से प्रति घंटा 10 लीटर पानी बर्बाद होता है। यही हाल सप्लाई वाटर के लिए लगाए गए नलों का भी है। ज्यादातर नलों में टोंटियां नहीं होने से लाखों लीटर पानी नाली में बह जाता है। यह चिंता का विषय है। अगर इस पानी को बचा लिया जाए तो 60 हजार लोगों की प्यास बुझाई जा सकती है।

ओवरफ्लो पर कसना होगा नकेल
छतों पर लगी टंकियों से भी पानी गिरकर बर्बाद हो रहा है। शहर में 73 हजार होल्डिंग और 50 हजार घरों में पानी की टंकी है। इन टंकियों से रोज 1.5 लाख लीटर से अधिक पानी ओवरफ्लो होने से बर्बाद हो रहा है। इसे रोकने के लिए टंकी में वाटर फ्लो अलार्म लगाने की आवश्यकता है।

सर्विसिंग सेंटर पर लगेगा लगाम
नगर निगम से बिना अनुमति लिए कई सर्विसिंग सेंटर का संचालन हो रहा है। अब तक 17 सर्विसिंग सेंटरों की पहचान की गई है जो डीप बो¨रग कर भू-गर्भ के जल का दोहन और पानी की बर्बादी कर रहे हैं। एक वाहन को धोने में 200 लीटर पानी की बर्बादी होती है। एक दिन में एक सर्विसिंग सेंटर में अगर 50 गाड़ियां धुल गई तो 10 हजार लीटर पानी बर्बाद हो जाता है। चिह्नित सर्विसिंग सेंटरों से हर एक दिन 1.5 लाख लीटर पानी की बर्बादी होती है। वेस्टेज पानी का जलशोधन कर पुन: उपयोग में नहीं लाया जाता है। नतीजा जहां भी सर्विसिंग सेंटर है वहां के आसपास के भू-गर्भ का जलस्तर नीचे चला गया है।

जिले में भूगर्भ जल का स्तर
मौसम : भूमिगत : सतही जल
गर्मी : 2.79 फीसद : 1.83 फीसद
वर्षा : 3.37 फीसद : 3.78 फीसद
ठंड : 2.35 फीसद : 2.01 फीसद
अप्रैल-मई में किस वार्ड में कितना गिरता है जलस्तर
एक से पांच वार्ड : 13-17 फीट
छह से 14 वार्ड : 18 से 22 फीट
15 से 30 वार्ड : 20 से 30 फीट
31 से 36 वार्ड : 18 से 17 फीट
42 से 43 वार्ड : 17 से 19 फीट
44 से 47 वार्ड : 14 से 18 फीट
48 से 51 वार्ड : 13 फीट
42 डिग्री तापमान में सूख जाती है भूमि

टीएमबीयू के भूगोल विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष एसएन पांडेय ने बताया कि भागलपुर शहर टिल्हे पर बसा हुआ है। तीनों ओर नदी ने कटाव कर दिया है। शहर हार्ड मिट्टी पर बसे होने के कारण गंगा इसे काट नहीं सकी। गर्मी के दिनों में शहर के दक्षिणी क्षेत्र का जलस्तर 25 से 30 फीट नीचे चला जाता है। शहर के उत्तर से दक्षिणी क्षेत्र की ओर बढ़ने पर प्रति किलोमीटर दो से तीन फीट भूगर्भ का जलस्तर कम होता जाता है। 42 डिग्री तापमान होने पर भूमि सूख जाती है और पानी काफी नीचे चला जाता है। पानी रिचार्ज की संभावना घटती जा रही है। 20 साल पहले पानी की इतनी खपत नहीं होती थी। डीप बो¨रग 300 से 400 फीट किया जाता है। जहां भी बो¨रग होती है वहां आसपास 22 फीट तक पानी का स्तर गिर जाता है। भूगर्भीय जल के अत्यधिक दोहन से जमीन के अंदर खोल हो रहा है. इससे जमीन के खिसकने की संभावना बढ़ जाती है। भूकंप का खतरा बना रहता है। शहर के दक्षिणी क्षेत्र में फ्लोराइड की अधिक मात्रा पाई जाती है। इसके सेवन से लोग हड्डी और दांत से जुड़ी बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं।
इनपुट: JMB

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