पिछले 14 दिनों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कोई इजाफा नहीं किया गया है. दरअसल, कर्नाटक चुनाव के चलते पेट्रोल-डीजल की कीमतों में रोजाना होने वाले बदलाव पर फिलहाल रोक लगाई हुई है. यह पहली बार नहीं है जब चुनाव के समय तेल कंपनियों ने पेट्रोल-डीजल के दाम पर होल्ड लगाया हो. हालांकि, वैश्विक बाजार में कच्चा तेल की कीमतों में लगातार इजाफा जारी रही है. 2014 नवंबर के बाद पहली बार वैश्विक बाजार में डब्ल्यूटीआई क्रूड की कीमतें 70 डॉलर प्रति बैरल के पार पहुंच गई हैं. वहीं, ब्रेंट क्रूड के दाम 75 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर निकल गए हैं. अब सवाल ये है कि कच्चे तेल के दाम में बढ़ोतरी होने के बावजूद पेट्रोल-डीजल की कीमतें स्थिर हैं, लेकिन क्या एक साथ इसमें इजाफा होगा?

नुकसान पूरा करेंगी कंपनियां
ऑयल मार्केटिंग कंपनियों (IOC, HPCL, BPCL) ने फिलहाल पेट्रोल-डीजल की रोजाना बदलने वाली कीमतों पर रोक लगा रखी है. हालांकि, कंपनियों को इससे नुकसान हो रहा है. वहीं, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 15 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया है, जिसकी वजह से कंपनियों की लागत बढ़ गई है. उधर, कच्चा तेल खरीदना कंपनियों के लिए महंगा हो गया है. ऐसे में कंपनियां कर्नाटक चुनाव के तुरन्त बाद पेट्रोल-डीजल के दाम में बढ़ा इजाफा करेंगी.
5 रुपए तक महंगा हो सकता है पेट्रोल
सीनियर एनालिस्ट अरुण केजरीवाल के मुताबिक, पेट्रोल-डीजल की कीमतें पिछले 14 दिनों से नहीं बढ़ी हैं. अभी तीन दिन और राहत जारी रहेगी. आने वाले रविवार या सोमवार को तेल कंपनियां एक साथ पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा करेंगी. नुकसान की भरपाई के लिए पेट्रोल पर 4 से 5 रुपए और डीजल पर 2 से 3 रुपए तक का इजाफा हो सकता है. हालांकि, यह इजाफा एक दिन में तो नहीं होगा क्योंकि, सरकार नहीं चाहेगी कि उसके ऊपर दबाव बने, लेकिन कंपनियां दो से तीन के भीतर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इतना इजाफा तो करेंगी. हो सकता है एक साथ 90 पैसे या फिर 1 रुपए बढ़ाया जाए.
 
गुजरात चुनाव के वक्त भी बढ़े थे दाम
वर्ष 2017 दिसंबर में गुजरात चुनाव के समय भी पेट्रोल-डीजल की कीमतों को 15 दिनों के लिए होल्ड पर रखा गया था. मतदान के दिन तक पेट्रोल-डीजल की कीमतें नहीं बढ़ी थीं. लेकिन, चुनाव के बाद एक साथ पेट्रोल-डीजल पर 2 रुपए बढ़े थे. उस वक्त भी तेल कंपनियों ने अपने नुकसान की भरपाई के लिए ही ऐसा किया था. हालांकि, उस वक्त क्रूड के दाम निचले स्तर पर थे.
 
महंगाई भी बढ़ेगी
पेट्रोल और डीजल के महंगे होने से महंगाई का बढ़ना भी तय माना जा रहा है. हालांकि, मार्च में रिटेल महंगाई कम होकर 5 महीने के निचले स्तर 4.28 फीसदी पर पहुंच गई थी. अप्रैल में भी इसके ज्यादा बढ़ने की संभावना नहीं है, लेकिन अब क्रूड महंगा होने और पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा होने पर महंगाई बढ़ने का खतरा है. जानकारों का भी यही मानना है कि महंगाई में कुछ हद तक बढ़ोतरी होगी.
 
ग्रोथ पर भी पड़ेगा असर
अरुण केजरीवाल के मुताबिक, पेट्रोल-डीजल महंगा होने से देश की ग्रोथ पर बुरा असर पड़ेगा. सरकार का फिस्कल डेफिसिट और चालू खाता घाटा दोनों बढ़ सकते हैं. डॉलर के मुकाबले रुपया और कमजोर हो सकता है. इसका असर इंपोर्ट और इंपोर्ट होने वाली चींजों पर साफ दिखाई देगा. दोनों ही महंगी हो जाएंगी.
 
क्यों बढ़ रहे हैं कच्चे तेल के दाम
कच्चे तेल की कीमतों में लगातार हो रहे इजाफे के पीछे ईरान और अमेरिका के बीच खींचतान है. डोनाल्ड ट्रंप ने 2015 के ईरान परमाणु समझौते को खत्म कर दिया है और उसकी समीक्षा करने की खबरों से क्रूड की कीमतें चढ़ रही हैं. अमेरिका फिर से ईरा पर आर्थिक प्रतिबंध लगा रहा है. आपको बता दें, ईरान ओपेक का तीसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है. वहीं, क्रूड उत्पादक देशों के संगठन ओपेक और रूस ने आगे भी तेल उत्‍पादन में कटौती जारी रखने का फैसले किया है, जिससे क्रूड महंगा हुआ है

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