गोरखपुर जिले में एक भटहट गांव है. वहां 13 लोगों को एड्स हो गया है. इन सबके एड्स की एक ही वजह है. रिश्वत. अगर आपमें से किसी को भी रत्तीभर भ्रम हो कि भारत की तबीयत सुधर रही है, तो ये खबर पढ़ने के बाद आपको बड़ा अफसोस होगा.
 
‘काम करवाना है, तो हमारे साथ सोना होगा’
इससे पहले कि आप एड्स और रिश्वत की पहेली सॉल्व करें, इसका बैकग्राउंडर पढ़ लीजिए. करीब छह साल एक 24 बरस की दुल्हन ब्याह कर इस गांव आई थी. पति मुंबई में रहता था. वहां किसी कारखाने में काम करता था. शादी के तीन साल बाद ही उसकी मौत हो गई. बीमार रहता था. बीमारी ने ही मारा उसको शायद. कौन देखता-दिखवाता. पति की मौत हो गई. कोई बच्चा हुआ नहीं था. मदद करने वाला भी कोई नहीं था. उसने सोचा कि राशन कार्ड और विधवा पेंशन मिल जाए, तो बड़ी सहूलियत हो जाएगी. ये सब कैसे मिले, इसके लिए उसने एक जानकार से मदद मांगी. वो शख्स रोजगार सेवक था. रोजगार सेवक महिला को प्रधान के पास ले गया. प्रधान ने उसे सेक्रेटरी से मिलवाया. इन तीनों के अलावा नौ बिचौलिये भी मिले उसको. सबने मदद देने का वादा किया. कहा, काम करा देंगे. बस थोड़ी रिश्वत दे दो. काम करवाना है, तो हमारे साथ सोना होगा. शायद उस औरत के पास ये ही एक चारा बचा हो. उसने संबंध बना लिया.

जिन 13 लोगों को एड्स हुआ है, उन सबने महिला की मदद के बहाने उसका शोषण किया था. उसके साथ सेक्स किया था (सांकेतिक तस्वीर)

महिला को एड्स था, ‘रिश्वत’ लेने वालों को भी हो गया
ये सब करीब तीन साल तक चलता रहा. ये 13 लोग उससे ‘रिश्वत’ लेते रहे. उसका शोषण करते रहे. फिर करीब तीन महीने पहले वो औरत बीमार हो गई. उसने प्रधान को बताया. प्रधान ने किसी नीम-हकीम से इलाज करवा दिया. फायदा कुछ हुआ नहीं. फिर एक डॉक्टर के पास ले गए. खून की जांच हुई. रिपोर्ट आई तो प्रधान के होश फाख्ता हो गए. महिला को एड्स था, रिश्वत लेने सभी लोगों पर जैसे 80 मन पानी गिरा. बीआरडी कॉलेज में दोबारा जांच करवाई गई. वहां भी जांच का नतीजा वो ही आया. फिर इन सब ‘रिश्वत’ लेने वालों ने एक-एक करके अपनी जांच करवाई. उन सबको भी एड्स था.

जब खून की जांच हुई, तो मालूम चला कि उसे एड्स है. ये खबर गांव में फैल गई. जितने भी लोगों ने मदद के बहाने उसका शोषण किया था, सबने अपना-अपना टेस्ट कराया. 13 लोग एचआईवी पॉजीटिव पाए गए.

कुछ किलो अनाज लेने के लिए 13 लोगों के साथ सोना पड़ा
उस महिला को शायद अपने पति से ये बीमारी लगी होगी. शायद पति की मौत भी इसी बीमारी की वजह से हुई होगी. उसे खुद कुछ पता नहीं था. ‘रिश्वत’ लेने वालों ने तो सोचा भी नहीं होगा कि ऐसा कुछ हो सकता है. अगर ये बीमारी बीच में न आई होती, तो शायद इस मामले का खुलासा भी नहीं होता. कोई कभी नहीं जान पाता कि एक अकेली औरत को राशन कार्ड और विधवा पेंशन जैसी जरूरी सरकारी मदद पाने के लिए कितनी बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है. हर महीने मिलने वाले कुछ किलो अनाज के लिए 13 लोगों के साथ सोना पड़ता है. उनके हाथों अपना शोषण करवाना पड़ता है.

सरकारी योजनाएं जरूरतमंदों की मदद के लिए होती हैं. अगर उसे पाने के लिए किसी जरूरतमंद को ये सब करना पड़े, तो समझा जा सकता है कि भ्रष्टाचार ने हमें कितना लील लिया है.

‘कर्म का फल’ वाली बात किसी गंदी गाली जैसी लगती है
लोग कह रहे हैं कि जिन्होंने जैसा किया, वैसी सजा मिली. कह रहे हैं कि कर्म का फल तो इसी जीवन में मिल जाता है. हो सकता है कि उन 13 लोगों के मामले में ये बात सही लगे. मगर उस औरत की क्या गलती थी कि उसे अपने पति से एड्स मिला? फिर इतने लोगों के हाथों शोषण हुआ उसका. और इन 13 लोगों ने इस बीच में जब अपनी पत्नियों के साथ सेक्स किया होगा, तो क्या कॉन्डम पहना होगा? इसकी एक पर्सेंट भी उम्मीद नहीं दिखती. तो क्या वो औरतें भी एड्स का शिकार हो गई हैं. बिना गलती के. और जो इस बीच इनमें से कोई प्रेगनेंट हुई हो, तो? उस बच्चे का क्या हुआ होगा? ये सब सोचो, तो ये ‘कर्म का फल’ वाली बात गंदी गाली जैसी लगती है.

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