एक ओर जहां यह कहा जा रहा था कि राजद मुखिया लालू प्रसाद यादव की बड़ी बहन गंगोत्री देवी की निधन से लालू परिवार को गहरा सदमा पहुंचा है. अपनी बुआ की मौत की खबर सुनकर तेजस्वी और तेजप्रताप यादव भी काफी दुखी है. दूसरी तरफ यह भी खबर है कि अपनी इकलौती बुआ के अंतिम संस्कार में लालू के नहीं रहने पर तेजप्रताप और तेजस्वी भी नहीं शामिल हुए हैं. बताया जा रहा है कि गंगोत्री देवी के शव को रविवार की रात में ही गोपालगंज के पंचदेवरी प्रखंड के चक्रपाण गांव पहुंचा दिया गया था. जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया. स्थानीय लोगों की मानें, तो लोग यह सोच रहे थे कि अपनी इकलौती बुआ के अंतिम संस्कार में दोनों भतीजे पहुंचेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और गंगोत्री देवी पंचतत्व में विलीन हो गयीं.

इससे पूर्व, गंगोत्री देवी की मौत की सूचना देने के लिए तेजस्वी यादव ने रविवार को जेल प्रशासन के दूरभाष नंबर पर फोन किया, लेकिन जब फोन रिसीव नहीं किया गया, तो बाद में विधायक भोला यादव को गंगोत्री देवी की मौत की सूचना देते हुए कहा गया कि पिताजी तक यह सूचना पहुंचा दें. इसके बाद भोला यादव ने जेल अधीक्षक के जरिये लालू प्रसाद तक सूचना भिजवायी. इस संबंध में विधायक भोला यादव ने बताया कि लालू प्रसाद यादव की बड़ी बहन गंगोत्री देवी की मौत की खबर जेल प्रशासन को दी गयी. जेल प्रशासन को सूचना मिलने पर जेल अधीक्षक के माध्यम से लालू प्रसाद तक खबर पहुंचायी गयी. खबर मिलने पर लालू प्रसाद की आंखों में आंसू आ गये.

कहा यह जा रहा था कि लालू को अपनी बड़ी बहन से बहुत लगाव था. पैरोल पर बाहर आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी उम्मीद है पैरोल के बजाये उच्च अदालत से जमानत के लिए गुहार लगायी जायेगी. मालूम हो कि सोमवार को गंगोत्री देवी का अंतिम संस्कार किया जाना है. इसलिए लालू प्रसाद का अंतिम संस्कार के मौके पर उपस्थित होना मुश्किल है.

गंगोत्री देवी के परिजनों की मानें, तो उन्हें पूरा विश्वास था कि तेजस्वी और तेज प्रताप जरूर आयेंगे, लेकिन वह नहीं आये. लालू यादव की भतीजी और गंगोत्री देवी की बेटी निर्मला देवी ने मीडिया को बताया कि उनके मां की उम्र सत्तर वर्ष थी. निर्मला देवी के मुताबिक लालू के दोनों पुत्रों को यहां आना था. घरवालों ने गंगोत्री देवी का शव घर पर रखकर घंटों इंतजार किया. कई घंटे इंतजार करने के बाद गंगोत्री देवी के शव को उनके सबसे छोटे बेटे बैरिस्टर यादव ने मुखाग्नि दी. पार्टी के कई नेताओं का मानना है कि किसी न किसी को शामिल होना चाहिए था, लालू सुनेंगे, तो बहुत नाराज होंगे. बताया जा रहा है कि गांव में गंगोत्री देवी का शव पहुंचने के बाद सैकड़ों लोग वहां जमा हो गये.

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