बिहार के कई अस्पतालों पर सख्त कार्रवाई की जा सकती है. जिसके कारण यहां के करीब 450 हॉस्पिटलों पर ताले लग सकते हैं. ये अस्पताल हॉस्पिटलों में बायोमेडिकल वेस्ट (जैविक कचरा) का प्रबंधन नहीं करने के दायरे में आएं हैं

इन्हें कड़ी चेतावनी दी गई है. जिसमें यह कहा गया है कि यदि इन अस्पतालों या नर्सिंग होम द्वारा निकलने वाले कचरे का प्रबंधन नहीं किया जाता है, तो वैसे संस्थानों की तालाबंदी करायी जा सकती है.
मुख्य सचिव दीपक कुमार ने शुक्रवार को एनजीटी के निर्देशों के पालन को लेकर उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की. बैठक के बाद स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बताया कि राज्य के सभी अस्पतालों को प्रतिदिन निकलने वाले जैविक कचरे (बायो मेडिकल वेस्ट) का प्रबंधन करना है.

इसके लिए संस्थानों में इनसिनिरेटर की व्यवस्था करनी है. अस्पतालों से निकलने वाले सूखे कचरे जिसमें, सुई, सिरिंज, रूई, बैंडेज और पट्टी जैसी सामग्री शामिल हैं. इसके अलावा ऑपरेशन थियेटर और लेबर रूम से निकलने वाले तरल कचरे के साथ ही जितने बेकार उपकरण हैं, उसका प्रबंधन किया जाना है. यह माना जाता है कि भर्ती होने वाले एक मरीज के इलाज में प्रतिदिन डेढ़ से दो किलोग्राम तक कचरा निकलता है.

इन कचरों का पहले अलग-अलग बंटवारा कर संग्रहित करना है. इसके बाद जो जलाने वाली सामग्री है उसे नष्ट करना है. यह सब नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल के मापदंडों पर किया जाना है. सर्वे में पाया गया कि राज्य के 450 अस्पतालों में जैविक कचरे का निबटारा नहीं किया जाता है. वहां से निकलने वाले जैविक कचरे को सड़कों के किनारे या खाली स्थानों पर फेंक दिया जाता है.

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