अभी हाल ही में हुए दो भारत बंद ने देश में बहुत कुछ तहस नहस कर दिया. दोनों आंदोलन में सबसे ज्यादा नुकसान आम लोगों का हुआ. लेकिन सरकार के मंत्री और नेता इस पर राजनीति करते रहे. अगर बिहार की बात करें तो वहां कई जिलों में हुई हिंसा ने पुरे राज्य को हिला कर रख दिया. मामले में बीजेपी नेताओं के नाम आने से नीतीश सरकार चारो ओर से घिर गई. यह भी कहा जाने लगा कि नीतीश बीजेपी के कुछ नेताओं के वजह से असहज महसूस कर रहे हैं. हालांकि उन्होंने खुलकर कुछ भी नहीं कहा लेकिन बिना नाम लिए चेतावनी जरुर दी.

फिलाहल बिहार में फिर से आपसी भाई चारा कायम है और रहना भी चाहिए. यह हमारे समाज के विकास लिए बहुत जरुरी है. किसी के बहकावे में आने से कोई फायदा नहीं. बता दें कि नीतीश पर भले कार्रवाई करने में सुस्ती दिखाने के आरोप जरुर लगे, लेकिन वो अन्दर से हिंसा को लेकर काफी दुखी है. इसका उदाहरण मोतिहारी में मंच भी पर देखा गया. जब उन्होंने तमाम मंत्री यहां तक कि प्रधानमंत्री के सामने यह है कहा कि हिंसा से लोगों दूर रहना चाहिए. ऐसी बयानबाजी से बचाना चाहिए. जो शांति और सौहार्द के खिलाफ है. हिंसा से किसी का भला नहीं हो सकता.
कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है.
उसके बाद सीएम नीतीश कुमार ने अपनी इस बात को एक बार फिर से दोहराया है, जिसको लेकर यह कहा जा रहा है कि नीतीश के इस बयान से आने वाले चुनाव में बीजेपी को नुकसान पहुंच सकता है. क्योंकि अभी जैसे अच्छी कामों का श्रेय लेने के लिए बीजेपी सरकार के मंत्री सबसे आगे रहते हैं, तो अब देश की बुरी स्थिति और हालात के लिए भी जनता बीजेपी को ही जिम्मेदार मानती है.

नीतीश ने कहा कि देश की स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है। पूरे देश में एक तनाव का माहौल है. उन्होंने आगे यह कहा कि आज लोग एक-दूसरे पर जुबानी हमला बोल रहे हैं. हम सबको हर समुदाय के लोगों का सम्मान करना चाहिए. शांति के वातावरम के बिना देश तरक्की नहीं कर सकता. पद सेवा करने के मिला है, धन संपत्ति अर्जित करने के लिए नहीं मिला है.

मालूम हो कि जदयू भी कई सीटों पर कर्नाटक में विधानसभा चूनाव लड़ने जा रही है. पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने बताया कि जदयू कर्नाटक में करीब एक दर्जन सीटों पर ही चुनाव लड़ेगा. त्यागी ने बताया कि वैसे तो करीब 20-22 उम्मीदवारों के नाम पार्टी के समक्ष आए हैं, लेकिन हम चुनिंदा सीटों पर ही प्रत्याशी देंगे.

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